गुजरात की कपड़ा मार्केट में नहीं पहुंच रहे मजदूर, व्यापारियों से सरकार क्वारंटाइन नियमों में मांगी छूट

गुजरात की कपड़ा मार्केट में नहीं पहुंच रहे मजदूर, व्यापारियों से सरकार क्वारंटाइन नियमों में मांगी छूट
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कपडा कारोबारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर लगाई गुहार। जल्द मजदूरों की वापसी के लिए क्वारंटाइन के नियमों में दे छूट।

देश में कोरोना को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन को खोल दिया गया है। अब सभी हिस्सों में धीरे धीरे मार्केट को खोला जा रहा है। इसमें गुजरात भी शामिल है, लेकिन (TexTile Market) कपड़ा मार्केट में व्यापारी अब मजदूरों की किल्लत से जुझ रहे हैं। मजदूरों के न पहुंचन से परेशान कारोबारियों से सरकार से क्वारंटाइन नियमों में छूट की मांग की है। जिसे प्रदेश से बाहर अपने घरों की तरफ गये मजदूर एक बार फिर से काम पर लौट सकें।

दरअसल, गुजरात की कपडा मार्केट से देश भर में कपडे का व्यापार होता है। जिसे अनलॉक 1 0 के तहत काम करने की अनुमति तो मिल गई है, लेकिन लॉकडाउन के बीच मजदूरों के अपने घर चले जाने से मार्केट से लेकर यहां मौजूद फैक्ट्रियां अनुमति के बाद भी नहीं चल पा रही हैं। इसी को लेकर कपड़ा कारोबारी दिनेश कटारिया ने सरकार से गुहार लगाई है कि क्वारंटाइन के नियमों में कुछ छूट दी जानी चाहिए। तभी मजदूर काम पर लौट सकेगी। 14 दिनों तक क्वारंटाइन के डर से मजदूर नहीं लौट रहा है। इसकी वजह इन 14 दिनों में उसके सामने खाने के पैसों तक की समस्या खडी हो जाएगी। इससे मजदूर तो प्रभावित होंगे। अनुमति मिलने के बाद भी कपडा मार्केट से लेकर फैक्ट्रियों में किसी तरह का काम नहीं हो पाएगा। दिनेश कटारिया ने कहा कि हमने मजदूरों और मार्केट की समस्या मुख्यमंत्री को लिखित पत्र देकर उनके सामने रखी है। साथ ही क्वारंटाइन में कुछ छूट की मांग की है। तभी काम हो सकेगा।

सरकार के नियमों में मजदूरों को मिलेगी छूट, तभी होगा काम

वहीं व्यापारियों का दावा है कि जब तक क्वारंटाइन के नियमों में मजदूरों को छूट नहीं मिलेगी। तब तक काम होना नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि स्टॉक में रखें सामान को गोदाम से लाने से लेकर गाडियों में लॉड कराने और उन्हें दुकानों समेत अन्य राज्यों में पहुंचाने के लिए सबसे ज्यादा लेबर की जरूरत होती है। ऐसे में लेबर बिना काम नहीं हो सकता। वहीं व्यापारियों का दावा है कि मजदूर अब काम पर लौटना चाहते हैं, लेकिन 14 दिनों क्वारंटाइन के डर से वह अपने घरों और प्रदेशों से वापस नहीं आ रहे हैं।

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