Gyanvapi Masjid Survey: ज्ञानवापी मस्जिद का दूसरे दिन भी सर्वे जारी, मुस्लिम पक्ष भी रहेगा मौजूद

Gyanvapi Masjid Survey: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग की टीम ने आज वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में अपना वैज्ञानिक सर्वेक्षण (Scientific Survey) कार्य फिर से शुरू कर दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि 17 वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर (Hindu Temple) की संरचना के ऊपर किया गया है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट के सर्वे पर रोक लगाने के बाद मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वह एएसआई विभाग की टीम के साथ सहयोग करेगा। आज फिर शुरू हुए सर्वे में मस्जिद कमेटी भी शामिल हुई।
मस्जिद कमेटी करेगी सहयोग
मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में था, इसलिए मस्जिद कमेटी से किसी ने भी सर्वेक्षण में भाग नहीं लिया। हालांकि, अब जब सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, तो समिति इसमें पूरा सहयोग करेगी। बीते शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से एक भी सदस्य मौजूद नहीं था। इस बीच, सर्वेक्षण के दूसरे दिन मस्जिद के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई।
आज शाम 5 बजे तक चलेगा सर्वे
एएसआई की टीम सुबह करीब 8.30 बजे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (Gyanvapi Masjid Complex) पहुंची। यह सर्वे आज दोपहर 12.30 बजे तक चलेगा और उसके बाद दोपहर 2.30 बजे से शाम 5 बजे तक खत्म हो जाएगा। एएसआई रडार तकनीक का उपयोग कर जमीन का सर्वेक्षण करेगा। हालांकि, जीपीआर (GPR) तकनीक की मदद से सर्वे करने में अभी समय लगेगा। जीपीआर के साथ सर्वेक्षण मंगलवार से शुरू हो सकता है।
#WATCH | Varanasi, UP: As the ASI arrives for the scientific survey of the Gyanvapi mosque complex today, lawyer of the Hindu side, Sudhir Tripathi says, "The survey starts at 9 am today...It is the second day of the survey...We want people to cooperate in the survey and get it… pic.twitter.com/BFUm0CawwS
— ANI (@ANI) August 5, 2023
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एएसआई की टीम ने शुक्रवार को क्या किया
शुक्रवार को एएसआई ने ज्ञानवापी परिसर के सभी अंदरूनी और बाहरी हिस्सों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की थी। पहले दिन का सर्वेक्षण लगभग 7 घंटे तक चला, इस दौरान एएसआई (ASI) का ज्यादातर समय संरचनाओं के लेआउट को बनाने में गया था। एएसआई की टीम में 37 लोग शामिल थे और आईआईटी की विशेषज्ञों की टीम के सदस्य मिलाकर 41 लोग हो गए। इन सभी को चार टीमों में बांट दिया गया था।
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