Haribhoomi Explainer: देश से आखिरी चीनी पत्रकार की विदाई, जानिये भारत क्यों नहीं दे रहा वीजा

Haribhoomi Explainer: देश से आखिरी चीनी पत्रकार की विदाई, जानिये भारत क्यों नहीं दे रहा वीजा
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Haribhoomi Explainer: भारत में अपने पत्रकारों की एंट्री को लेकर चीन लगातार भारत पर भेदभाव करने के आरोप लगाता रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने भी कहा है कि पत्रकारों के साथ हो रहे भेदभाव की वजह से भारत में अब केवल एक चीनी पत्रकार बचे हैं। चीन अब मोदी सरकार के सामने भारत-चीन संबंधों की दुहाई देते हुए इन प्रतिबंधों को हटाने की मांग कर रहा है। आइये आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से जानते हैं भारत-चीन के उस विवाद के बारे में चलते अब पत्रकारों पर भी पाबंदी लग रही है।

Haribhoomi Explainer: भारत और चीन दोनों देशों ने अब एक-दूसरे के पत्रकारों को लगभग पूरी तरह अपने-अपने यहां से निकाल दिया है। भारत में बचे आखिरी चीनी पत्रकार का वीजा भी खत्म हो गया है। चीन ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार बताया है। चीन ने कहा कि पत्रकारों पर हो रही कार्रवाई के लिए भारत ही जिम्मेदार है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ने चीनी पत्रकारों के वीजा की अवधि बेवजह ही कम कर दी और मई 2020 के बाद से नए वीजा भी जारी नहीं किए हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत में आखिरी बचे चीनी पत्रकार का वीजा भी खत्म हो गया है। अब हमारे पास उचित कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। हालांकि, माओ ने यह नहीं बताया कि भारत पर क्या कार्रवाई की जा रही है। मार्च 2020 मे कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से बंद बीजा को चीन फिर से इस साल मार्च में भारतीयों सहित विदेशियों को देश में आने की अनुमति देना शुरू किया। मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके ठीक एक महीने बाद बीजिंग और नई दिल्ली ने एक-दूसरे के पत्रकारों पर रोक लगानी शुरू कर दी है। भारत ने चीन की न्यूज एजेंसी सिन्हुआ (Xinhua) के एक पत्रकार को 31 मार्च तक देश छोड़ने के लिए कहने के बाद चीन ने तीन भारतीय पत्रकारों के वीजा पर रोक लगा दी है।

एक चीनी पत्रिका के अनुसार, भारत द्वारा सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के पत्रकार के अलावा एक अन्य राज्य मीडिया आउटलेट चाइना सेंट्रल टेलीविजन के एक रिपोर्टर को भी देश छोड़ने के लिए कहा गया था। यहीं दोनों भारत में आखिरी दो चीनी पत्रकार थे। 1980 के दशक के बाद यह पहली बार है कि भारत में कोई चीनी मीडिया रिपोर्टर नहीं है।

चीन का जवाब

दो भारतीय पत्रकारों के वीजा को निलंबित करने के मामले में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि काफी समय से चीनी पत्रकारों के साथ भारत में भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। चीनी प्रवक्ता ने दावा किया कि साल 2017 में भारत ने चीनी पत्रकारों की वीजा अवधि को तीन माह से घटाकर एक माह कर दिया। भारत ने चीनी पत्रकारों को भारत में जाने की अनुमति मांगने वाले आवेदनों को निरस्त कर दिया है इसीलिए हमने भी यह फैसला लिए हैं।

चीन का झूठा दावा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार माओ निंग ने कहा कि हम चीन में भारतीय पत्रकारों को सभी जरुरी मदद और सुविधा देते हैं। हम उनके साथ परिवार की तरह व्यवहार करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के कुछ पत्रकार तो यहां 10 साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं और रह भी रहे हैं।

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क्या है भारत और चीन विवाद

पिछले कुछ वर्षों में भारत और चीन के रिश्ते खराब रहे हैं। दोनों देशों के बीच विवाद की वजह है 3440 किलोमीटर लंबी सीमा। इसको लेकर दोनों देशों के अपने-अपने अलग दावे हैं। स्थिति ऐसी है कि कई बार नदियों, झील और बर्फ से घिरे पहाड़ों के कारण तो कभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LC) को लेकर विवाद होता रहता है और कई बार दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ जाते हैं।

जून 2020 में गलवान में भारत और चीन के बीच विवाद में भारत के 20 सैनिक मारे गए थे और कई महीने बाद चीन ने इस लड़ाई में अपने चार सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी। तब से दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की कई बातचीत हुई लेकिन तनाव बरकरार है, और भारत और चीन का सबसे हालिया विवाद नौ दिसंबर 2022 का है जब अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी।

कल हुई भारत-चीन कार्य तंत्र की बैठक

भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 27वीं बैठक बुधवार को नई दिल्ली में हुई। दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ स्थिति की समीक्षा की और खुले तरीके से शेष क्षेत्रों में पीछे हटने के प्रस्तावों पर विचार भी किया। अमन-चैन की बहाली से द्विपक्षीय संबंध सामान्य होने के हालात बनेंगे। कल की बैठक मे सीनियर सैन्य कमांडर स्तर की 19वीं बैठक के लिए दोनों देश सहमत हुए हैं।

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