Haribhoomi Explainer: GST लागू होने के छह साल पूरे, पढ़िये बाजार में कितना आया बदलाव

Haribhoomi Explainer: जीएसटी (Goods and Service Tax) यानी वस्तु एवं सेवा कर देश भर में एक जुलाई 2017 को लागू हुआ था। नई कर व्यवस्था के लागू होने की खुशी में हर साल एक जुलाई को जीएसटी दिवस (GST Day) के रूप में मनाया जाता है। 2018 में जीएसटी की पहली वर्षगांठ मनाई गई थी। जीएसटी लागू होने के छह साल बाद भी कई इसके फायदों से अंजान हैं। इसका फायदा विक्रेता उठाते हैं, जिसके कारण वो पूरी कमाई को हड़प लेते हैं और आपके खरीदे सामान का नाममात्र हिस्सा भी सरकार तक नहीं पहुंच पाता है। आइये आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से जीएसटी के बारे में जानते हैं।
2000 में आया था जीएसटी का विचार
देश में पुरानी कर व्यवस्था को समाप्त कर नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था (Indirect Tax System) लाने का विचार वर्ष 2000 में आया था और इसे अंततः 2017 में लागू किया गया। जीएसटी अधिनियम (GST Act) का उद्देश्य पूरे देश में सेवाओं और वस्तुओं को एक समान बनाना है।
जीएसटी लागू करने के ऐतिहासिक कदम ने भारत (India) को एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर सुधार दिया। राज्य और केंद्र में लगने वाले विभिन्न विभिन्न करों को एक कर में जोड़ दिया गया, जिसे जीएसटी नाम दिया गया। सबसे महत्वपूर्ण लाभ दोहरे कराधान (Double Taxation) या व्यापक कराधान को हटाना था। इस पहल ने एकल राष्ट्रीय बाजार का मार्ग प्रशस्त किया। अगर हम उपभोक्ता के लिए जीएसटी के लाभ को देखें, तो कर के बोझ में कमी महत्वपूर्ण होगी, जो वर्तमान में 30 से 25 फीसद के बीच है। अपनी पारदर्शी और स्व-नियंत्रण प्रकृति के कारण, जीएसटी का प्रशासन करना आसान है।
भारत में जीएसटी कब लागू हुआ
29 मार्च 2017 को संसद द्वारा वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम पारित करने के बाद 1 जुलाई 2017 को भारत में जीएसटी लागू किया गया था। इसे लेकर विपक्ष ने जमकर बवाल काटा था। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कांग्रेस सरकार ने भी जीएसटी का विचार रखा था, लेकिन पीएम मोदी की सरकार ने इसे लागू किया, जिसके बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि जीएसटी लागू करना जरूरी था, लेकिन विपक्ष की सलाह लिए बिना ही इसे लागू कर दिया गया है। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि जीएसटी में कई खामियां हैं और इनमें सुधार होना चाहिए। हालांकि तमाम आरोपों के बावजूद जीएसटी ने वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली को बेहद सरल कर दिया था।
जीएसटी का मतलब
GST का संक्षिप्त नाम Goods and Service Tax होता है, जबकि हिंदी में इसे सामान और सेवा कर कहा जाता है। GST एक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जो देश में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं की सप्लाई पर लागू होती है। GST के लागू होने के बाद से लोगों को अतिरिक्त करों जैसे सेवा कर, बिक्री कर, एक्साइज ड्यूटी इत्यादि से लोगों को निजात मिल गया।
जीएसटी के प्रकार
भारत में लागू हुई जीएसटी के चार प्रकार हैं। ये चारों प्रकार हैं-
1. S GST
विशिष्ट राज्य सरकारों द्वारा राज्य के भीतर व्यापार और सेवाओं या व्यापार पर लगाए गए जीएसटी को राज्य-जीएसटी (S GST) कहा जाता है। यहां राज्य सरकार द्वारा राजस्व अर्जित किया जाता है। S GST के कारण लेनदेन राज्य के भीतर हुआ। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि सामान हरियाणा राज्य के भीतर निर्मित और बेचा जाता है, तो S GST हरियाणा राज्य द्वारा एकत्र किया जाएगा।
2. U GST
यह राज्य सरकार के बजाय केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में लगने वाली जीएसटी है। जीएसटी केंद्रीय प्रशासन द्वारा एकत्र किया जाता है और इसे यूजीएसटी (संघ-जीएसटी) कहा जाता है।
3. C GST
यह जीएसटी वस्तुओं और सेवाओं का अंतर-राज्य लेनदेन पर लगाया जाता है, जिसे केंद्रीय-जीएसटी (सी जीएसटी) कहा जाता है। यह केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है। इसे एसजीएसटी या यूजीएसटी के साथ एकत्र किया जाता है, और एकत्र किए गए राजस्व को राज्य और केंद्र सरकार के बीच वितरित किया जाता है।
4. I GST
विभिन्न राज्यों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर यह जीएसटी एकत्र किया जाता है। इसे वस्तुओं और सेवाओं के आयात या निर्यात पर भी लागू किया जाता है। अर्जित आईजीएसटी को फिर राज्य और केंद्र सरकार के बीच विभाजित किया जाता है।
जीएसटी का महत्व
जीएसटी उन वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है, जो घरेलू उपभोग के लिए बेची जाती हैं। यह कर वस्तु या सेवा की अंतिम कीमत का हिस्सा है और अंतिम उपभोक्ता को खरीदारी करते समय इसका भुगतान करना पड़ता है। विक्रेता संग्रह को सरकार को सौंप देता है। आमतौर पर पूरे देश में जीएसटी पर एक ही दर से टैक्स लगता है।
जीएसटी की 5 विशेषताएं
1. जीएसटी ने केंद्र और राज्य स्तर पर 17 विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को समाहित कर दिया है।
2. जीएसटी एक उपभोग आधारित कर है।
3. जीएसटी के कारण पूरे देश में 'एक देश एक कर दर' प्रणाली लागू हुई।
4. यह सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला एक व्यापक कर है।
5. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने कर ढांचे पर पहले लगने वाले कर को रोक दिया।
आसान है जीएसटी की प्रक्रिया
जब आप जीएसटी प्रक्रिया के बारे में सोचते हैं, तो आपको तुरंत सरकारी कार्यालयों में लंबी कतारों में खड़े लोगों, दस्तावेज़ीकरण आदि करवाने की छवि मिल जाएगी। लेकिन, यह अब बिल्कुल बदल गया है। जीएसटी के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया अब ऑनलाइन हो गया है। जीएसटी की पूरी प्रक्रिया, चाहे वह पंजीकरण हो या जीएसटी रिटर्न भरना, सब कुछ ऑनलाइन किया जा सकता है और यह बहुत सरल है। पंजीकरण और रिटर्न दाखिल करने के अलावा आपके पास रिफंड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने, नोटिस का जवाब देने और उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने का भी विकल्प ऑनलाइन मौजूद है।
नया व्यवसाय शुरू करना हुआ आसान
जीएसटी पंजीकरण के साथ, व्यवसाय शुरू करना पहले से कहीं अधिक आसान हो गया है। अब, स्टार्टअप्स को प्रत्येक राज्य में जहां वे व्यवसाय करते हैं, अलग-अलग कर नियमों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है। जीएसटी रजिस्ट्रेशन के जरिए नए कारोबारी देश में कहीं भी बिना किसी परेशानी के कारोबार कर सकते हैं। इससे प्रत्येक राज्य में अलग-अलग कर नियमों के कारण आवश्यक उच्च शुल्क भी समाप्त हो जाता है।
व्यापारी पक्का बिल न देकर करते हैं टैक्स चोरी
भले ही केन्द्र सरकार ने देश में जीएसटी को लागू कर दिया हो, लेकिन टैक्स चोरी पर अभी भी नकेल नहीं कसी जा सकी है। टैक्स चोरी करने के लिए अधिकांश व्यापारी ग्राहकों के बिल न मांगे जाने का बहाना कर सामानों का पक्का बिल नहीं बनाते हैं। तो उधर ग्राहक भी सस्ता सामान पाने के लालच में पक्के बिल की मांग भी नहीं करते। अपने थोड़े से फायदे के लिए ग्राहक और व्यापारी दोनों टैक्स की चोरी करते हैं। वहीं कोई ईमानदारी से पक्का बिल लेना चाहता है तो भी दुकानदार आनाकानी करने लगते हैं। ऐसे में संबंधित कलेक्टर कार्यालय या तो नापतौल विभाग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यही नहीं, खाद्य नियंत्रक कार्यालय में भी कंप्लेंट भेज सकते हैं, जिसके बाद विक्रेता पर कार्रवाई तय है।
Also Read: पीएम मोदी आज पहुंचे डीयू,देंगे आज तीन भवनों की सौगात
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS