Haribhoomi Explainer: नीम करोली आश्रम का आज 59वां स्थापना दिवस, यहां जानें कैंची धाम से जुड़ी तमाम मान्यताएं

Haribhoomi Explainer: नीम करोली बाबा का आज 59वां स्थापना दिवस उनके भक्त बड़े धूम-धाम से मना रहे हैं। आम जनता से लेकर नेता, अभिनेता के साथ विदेशी भी नीम करोली बाबा के भक्तों में शामिल हैं। नीम करोली बाबा के आश्रम कैंची धाम को लेकर लोगों में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। इसी वजह से यहां हर दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि यहां जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है वो खाली हाथ नहीं लौटता है। उसकी झोली में एक दिन खुशियां जरूर आ जाती हैं। अगर आप भी नीम करोली बाबा के भक्त हैं तो 15 जून का दिन आपके लिए बेहद खास होगा। दरअसल, 15 जून 1964 में कैंची धाम आश्रम की स्थापना की गई थी। उसी दिन से हर 15 जून को कैंची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं इस पावन धाम से जुड़ी मान्यता और नीम करोली बाबा के बारे में...
दिव्य कैंची धाम का इतिहास
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में दिव्य कैंची धाम स्थित है। कहा जाता है कि साल 1961 में नीम करोली बाबा पहली बार यहां आए थे। नीम करोली बाबा ने अपने मित्र पूर्णानंद के साथ मिलकर कैंची धाम में आश्रम बनाने पर विचार किया था। इसके बाद 15 जून 1964 के दिन इस आश्रम की स्थापना की गई। भक्त प्रत्येक वर्ष भव्य तरीके से आश्रम का स्थापना दिवस मनाते हैं। इसके लिए कई दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती है। स्थापना दिवस पर नीम करोली बाबा को मालपुए का भोग लगाया जाता है। इसके बाद इसी को भक्तों के बीच इसे प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है। आपको बता दें कि इस साल कैंची धाम आश्रम का आज 59वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि आज आश्रम के स्थापना दिवस के अवसर पर लाखों की संख्या में भक्तों के आने की संभावना है।
बाबा से जुड़ी अनेक मान्यताएं
नीम करोली बाबा हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त में गिने जाते हैं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। यही वजह है कि आश्रम में पूरे दिन हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। कैंची धाम को लेकर लोगों की गहरी आस्था है। कहा जाता है कि नीम करोली बाबा से मांगी गई हर मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है। इसी कारण बाबा के आश्रम में फकीर से लेकर अरबपति लोग तक आते हैं। नीम करोली बाबा के दर पर अब तक एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी हस्तियां आ चुके हैं। भारतीय टीम के क्रिकेटर विराट कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा और बेटी वामिका के साथ कैंची धाम आश्रम आ चुके हैं। बता दें कि नीम करोली बाबा का कैंची धाम आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल जिले के अलावा उत्तर प्रदेश के वृंदावन में भी स्थित है। विराट अपने परिवार के साथ वृंदावन स्थित कैंची धाम आश्रम गए थे।
भंडारे का आयोजन
नीम करोली धाम में आज भंडारे का भी आयोजन होगा। मंदिर ट्रस्ट की ओर से भक्तों को प्रसाद देने के लिए 35 क्विंटल कागज की थैली दिल्ली से मंगवाई है। नीम करोली बाबा को मालपुए का भोग लगता है। इसके बाद यहीं प्रसाद बाबा के भक्तों में बांटा जाएगा। इस साल मालपुआ बनाने के लिए मथुरा के सोंख गांव से 45 कारीगरों आश्रम पहुंचे हैं।
बाबा के चमत्कार
नीम करोली बाबा के पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार प्रचलित हैं। एक जनश्रुति के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। तब बाबा के कहने पर नीचे बहती हुई नदी से जल भरकर लाया गया। जब उसे प्रसाद बनाने के लिए उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया। ऐसे तमाम कहानियां बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग बाबा के आश्रम पर खिंचे चले आते हैं।
बाबा का प्रिय धाम
नीम करोली बाबा को कैंची धाम बहुत ही प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियां भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गई है। बाबा नीब करौरी बाबा के देश-दुनिया में कुल 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा आश्रम कैंची धाम और अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।
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न माथे पर तिलक न गले में कंठी माला
माना जाता है कि नीम करोली बाबा को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। हालांकि, वह आडंबरों से दूर रहते थे। बाबा के माथे पर न तो तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को भी नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे हनुमान जी के पैर छूने की सलाह देते थे।
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