Haribhoomi Explainer: बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का 27वां जन्मदिवस आज, पढ़िए उनकी अनसुनी कहानी

Haribhoomi Explainer: बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का 27वां जन्मदिवस आज, पढ़िए उनकी अनसुनी कहानी
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Haribhoomi Explainer: बागेश्वर धाम प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का आज 27 वां जन्मदिन है। वह अपनी कलाओं और मन पढ़ने की शक्ति के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। धीरेंद्र शास्त्री खुद को हनुमान जी का भक्त बताते हैं। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से जानते हैं बागेश्वर धाम वाला बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बारे में

Haribhoomi Explainer: सनातन और भारतीय संस्कृति (Indian culture) के कट्टर समर्थक, कथावाचक और उपदेशक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) का आज 27वां जन्मदिन उनके अनुयायी बड़े धूमधाम से मना रहे हैं। अक्सर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने बयानों के कारण चर्चा में बने रहते हैं। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जीवन और एक साधारण तपस्वी से विश्व प्रसिद्ध कथावाचक बनने तक की कहानी को जानते हैं।

जन्मदिन पर विशेष कार्यक्रम

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जन्मदिन पर बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) में भक्तों के लिए गुरु दर्शन और गुरु दीक्षा का कार्यक्रम रखा गया है। अपने खास दिन पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री गुरु दीक्षा देंगे। भक्तों पर पुष्प वर्षा भी की जाएगी। जन्मदिन पर विशेष प्रसाद का भी इंतजाम किया गया है। धीरेंद्र शास्त्री के 27वें जन्मदिन पर कीर्तन संध्या का भी आयोजन किया जाएगा।

कौन हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

मध्य प्रदेश का एक जिला है छतरपुर (Chhatarpur), यहां एक टीले पर स्थित है बागेश्वर धाम। यह भगवान बालाजी (हनुमान जी) को समर्पित स्थान है। पंडित धीरेंद्र यहीं पर तपस्या किया करते हैं। उनकी भी ख्याति अपने नाम से कहीं ज्यादा बागेश्वर धाम वाले बाबा के रूप में हुई है। सोशल मीडिया पर उनसे जुड़े तमाम वीडियो मौजूद हैं। इनमें वह धार्मिक प्रवचन देने के साथ-साथ बाबा दिव्य चमत्कार भी दिखाते हैं। हालांकि, वह इसे चमत्कार नहीं मानते। उनके भक्तों का भी कहना है कि यह बालाजी की कृपा है।

3 जुलाई 1973 को मध्य प्रदेश में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म हुआ। उनका पालन-पोषण हिंदू बुद्धिजीवियों और पुजारियों के घर में हुआ, एक बच्चे के रूप में उन्हें हिंदू धर्म से अवगत कराया गया।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का परिवार

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों से बीता। धीरेंद्र के पिता का नाम रामकृपाल शास्त्री है। जो कथावाचक हैं और मां गृहिणी हैं। धीरेंद्र शास्त्री की अभी तक शादी नहीं की है।

बचपन से ही ग्रंथ अध्ययन में रुचि

छोटी उम्र में ही धीरेंद्र का ध्यान हिंदू ग्रंथों की ओर आकर्षित हुआ और उन्होंने उनका अध्ययन करना शुरू कर दिया। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने बागेश्वर में हिंदू दर्शन और संस्कृत में उच्च स्तरीय अध्ययन किया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद धीरेंद्र ने अपने गृहनगर बागेश्वर धाम में प्रसिद्ध हिंदू मंदिर में पुजारी के रूप में अपना पेशा शुरू किया। उन्होंने हिंदू धर्म और आध्यात्मिकता पर सेमिनार भी देना शुरू किया, जिसका तुरंत ही आस-पड़ोस में स्वागत हुआ।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की समाज में भूमिका

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शन और भारतीय संस्कृति और विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने कई सामाजिक और सांस्कृतिक परियोजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया है जो सामाजिकता और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार करना चाहते हैं। इसके अलावा वह गरीबों को स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रदान करने वाले अस्पतालों और स्कूलों की स्थापना जैसे मानवीय प्रयासों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। उन्होंने अपनी शिक्षाओं और प्रयासों के माध्यम से नैतिक और आध्यात्मिक दिशा की तलाश कर रहे व्यक्तियों को प्रेरित किया है, और वह कई अन्य लोगों के लिए प्रकाश की किरण बन गए हैं।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कुल संपत्ति

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास संपत्ति के तौर पर एक मोटरसाइकिल है। उन्हें जो भी दान मिलता है, उसका उपयोग वे समाज सेवा में करते हैं। मसलन, लड़कियों की शादी के लिए, मरीजों के इलाज के लिए, गरीबों के खाने-पीने की व्यवस्था करते हैं। इसके अलावा उन्होंने 9 एकड़ जमीन भी ले रखी है जिस पर वह कैंसर हॉस्पिटल बना रहे हैं।

लगाते हैं दिव्य दरबार

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपनी कथा के दौरान दिव्य दरबार भी लगाते हैं। इस दिव्य दरबार में वह भक्तों में किसी को बुलाकर उसके जीवन से जुड़ी तमाम बातें बताते हैं, जो उनके जीवन में घटी हुई होती है। परेशानियां भी बताते हैं और साथ में उसका उपचार भी। इस बारे में जब बाबा से पूछा गया कि वो मन को कैसे पढ़ लेते हैं तो उन्होंने कहा कि उनपर हनुमान जी की कृपा है। वही सब बताते हैं।

दिव्य दरबार को लेकर हो चुका है विवाद

बाबा के दिव्य दरबार को लेकर विवाद भी हो चुका है। कुछ लोग इसे हनुमान जी की कृपा तो कुछ लोग इसे झूठा मानते हैं। हालांकि, बाबा का कहना है कि दिव्य दरबार उनके यहां कई पीढ़ी से लगता आ रहा है। उनके दादा भगवान भी दिव्य दरबार लगाते थे। उन्हीं की परम्परा को बाबा आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का कहना है।

पटना में कथा ने तोड़ा सारा रिकॉर्ड

बीते दिनों धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा बिहार के पटना में हुई। इस कथा में करीब दस लाख लोग शामिल हुए थे। संख्या के अधिक होने के कारण बाबा ने अपने भक्तों से कम से कम आने की अपील‌ की थी। दरअसल बात यह था कि भीड़ बढ़ने के कारण कई भक्तों को सांस लेने में दिक्कत आने लगी थी, और व्यवस्था भी चरमरा गई थी। इसी को लेकर बाबा ने भक्तों से टेलीविजन पर प्रोग्राम देखने की अपील की थी।

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बाबा के पटना के कथा के पहले विवाद खूब बढ़ गया था। बिहार सरकार के मंत्री और लालू यादव के बेटे तेज प्रताप ने बिहार में बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा न होने की बात कही थी। उनका कहना था कि बाबा की कथा से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ता है। इसलिए बिहार में बाबा की कथा नहीं हो सकती। लेकिन जब बाबा के भक्तों ने हुंकार भरी तो कथा भी हुई और भक्तों की अपार संख्या ने कई रिकॉर्ड भी बनाए हैं।

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