Haribhoomi Explainer: आज के दिन शुरू हुआ था Emergency Number, जानें इमरजेंसी नंबर शुरू करने के पीछे का कारण

Haribhoomi Explainer: अगर किसी के साथ दुर्घटना हो जाए, किसी को चिकित्सकीय सहायता की जरूरत हो या फिर किसी भी अन्य प्रकार की इमरजेंसी हो तो सबसे पहले ध्यान इमरजेंसी नंबरों पर जाते हैं। केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी अलग-अलग इमरजेंसी नंबर उपलब्ध कराए गए हैं ताकि प्रभावित व्यक्ति को जल्द से जल्द राहत दी जा सके। आपको भी कई इमरजेंसी नंबर याद होंगे, लेकिन कई इमरजेंसी नंबरों की जानकारी से अंजान होंगे। आप शायद ये भी नहीं जानते होंगे कि दुनिया का कौन सा ऐसा देश है, जिसने पहली बार इमजरेंसी नंबर की शुरुआत की थी और इसके पीछे की क्या कहानी थी। आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर में आपको इमरजेंसी नंबर शुरू होने की कहानी और भारत में उपलब्ध कराए गए इमरजेंसी नंबरों के बारे में बताने जा रहे हैं।
आज के ही दिन शुरू हुई थी इमरजेंसी नंबर की सेवा
दुनिया के इतिहास में आज के ही दिन से इमरजेंसी नंबर की शुरूआत हूई थी। इमरजेंसी नंबर की शुरुआत सबसे पहले यूनाइटेड किंगडम ने किया था। यह नंबर 999 था, जो पहली बार 30 जून 1937 को लंदन में पेश किया गया था। यूके का 999 इमरजेंसी नंबर दुनिया की सबसे पुरानी इमरजेंसी कॉल सेवा है।
इस वजह से शुरू किया था इमरजेंसी नंबर
लंदन में 10 नवंबर 1935 को विम्पोल स्ट्रीट के एक घर में आग गई थी। घर में पांच महिलाएं मौजूद थीं। एक पड़ोसी ने दमकल विभाग को फोन करना चाहा, लेकिन वेलबेक टेलीफोन एक्सचेंज द्वारा कॉल को कतार में रख दिया गया। लगातार फोन न मिलने का नतीजा यह हुआ कि दमकल विभाग मौके पर नहीं पहुंच सकी और पांचों महिलाओं की दर्दनाक मौत हो गई। इस पर पड़ोसी ने एक इंग्लिश न्यूज पेपर के एडिटर को पत्र लिखा, जिसके बाद खबर प्रकाशित होने से हड़कंप मच गया। सरकारी जांच शुरू हो गई। साथ ही, ऐसी व्यवस्था बनाने का विचार रखा, ताकि फोन बिजी न जाए और सूचना प्राप्त हो जाए। इसके बाद इमरजेंसी नंबर 999 उपलब्ध कराया गया। लंदन के साथ पूरे इंग्लैंड और आसपास के क्षेत्रों बहरीन, बांग्लादेश, बोत्सवाना, घाना, हांगकांग, केन्या, मकाऊ, मलेशिया, मॉरीशस, कतर, आयरलैंड, पोलैंड, सऊदी अरब, सिंगापुर, इस्वातिनी, त्रिनिदाद और टोबैगो, सेशेल्स, संयुक्त अरब अमीरात ने भी ऐसे ही इमरजेंसी नंबर उपलब्ध करा दिया।
शुरू से ही सफल रहा इमरजेंसी नंबर
इमरजेंसी सेवा के शुरू होते ही इसके परिणाम सामने आने लगे। नंबर जारी होने के महज सात दिनों बाद 7 जुलाई 1937 को एक महिला के साथ हुई वारदात में अपराधी की तत्काल गिरफ्तारी संभव हो सकी। इसका फायदा देखते हुए पूरी दुनिया में इमरजेंसी नंबरों का इस्तेमाल होने लगा और इसके सफल परिणाम हर जगह से आने लगे।
भारत में इमरजेंसी नंबर की शुरूआत
भारत में भी कई इमरजेंसी नंबर उपलब्ध कराए गए, लेकिन 2012 के निर्भया गैंगरेप के बाद फैसला लिया गया कि ऐसा नंबर लॉन्च होना चाहिए, जिस पर तत्काल रिस्पांस हो। गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर बताया गया है कि मंत्रालय ने 2012 में निर्भया गैंगरेप की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद न्यायमूर्ति वर्मा कमेटी के सुझावों को स्वीकार किया और Emergency Response Support System के नाम से एक नेशनल प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। पुलिस, फायर और एंबुलेंस, आदि से जुड़ी किसी भी तरह की सहायता कॉल के लिए सिंगल इमरजेंसी नंबर 112 जारी किया गया। इमरजेंसी नंबर जारी करने के लिए 321.69 करोड़ रुपये का बजट पास हुआ था।
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ये भी हैं विभिन्न विभागों के इमरजेंसी नंबर
पुलिस सहायता के लिए इमरजेंसी नंबर 100, फायर के लिए 101, हेल्थ सर्विस के लिए 108, महिला हेल्पलाइन के लिए इमरजेंसी नंबर 1091 और 181, चाइल्ड हेल्पलाइन के लिए इमरजेंसी नंबर 1098 हैं। इन मौजूदा इमरजेंसी नंबरों को धीरे-धीरे 112 में बदला जाने लगा है। इसका एक कारण यह भी है कि 112 कई दूसरे देशों में भी कॉमन इमरजेंसी नंबर है। भारत में 112 India नाम से एक ऐप भी लॉन्च हो चुका है। इसके जरिए यूजर्स खुद को रजिस्टर करके पुलिस, फायर, हेल्थ सर्विस और दूसरी सेवाओं से संपर्क कर सकते हैं।
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