Sunil Gavaskar Birthday: 74 साल के हुए क्रिकेट के लिटिल मास्टर, पढ़ें सुनील गावस्कर से जुड़े रोचक तथ्य

Haribhoomi Explainer: महान भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) आज अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म 10 जुलाई, 1949 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के बॉम्बे (Bombay) अब के मुंबई में हुआ था। भारत के इस महान खिलाड़ी ने कई रिकॉर्ड बनाए, तो कई रिकॉर्ड तोड़े भी। एक समय टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक 34 लगाने का रिकॉर्ड भी इनके नाम था। बाद में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) उनसे आगे निकल गए। सुनील गावस्कर 10,000 टेस्ट रन पार करने वाले पहले बल्लेबाज हैं। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से जानते हैं भारत के महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर के बारे में खास जानकारी।
जन्म के समय हो गई थी अदला-बदली
अगर सुनील गावस्कर के चाचा ने अस्पताल में बच्चों की अदला-बदली को नहीं देखा होता, तो भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) एक महान बल्लेबाज को खो सकती थी। गावस्कर का नाम उनके जन्म के तुरंत बाद गलती से बदल दिया गया था। उनके चाचा ने देखा कि जिस बच्चे को वे घर लाए थे, उसके बाएं कान के पास का एक तिल गायब था, जो जन्म के समय वहां था। परिवार अस्पताल पहुंचा और गावस्कर को एक मछुआरे के पास सोते हुए पाया।
भारतीय टीम के स्वेटर देख बने क्रिकेटर
गावस्कर पहले क्रिकेटर नहीं, बल्कि रेसलर बनना चाहते थे। उन्हें एक खेल के रूप में कुश्ती भी पसंद थी। क्रिकेट के प्रति उनका प्रेम और भारत के लिए खेलने का लक्ष्य तब बढ़ गया, जब उन्होंने अपने चाचा माधव मंत्री को भारतीय टीम के स्वेटर पहने हुए देखा। उन्होंने एक बार अपने चाचा से पूछा कि क्या वह इसे पहन सकते हैं, लेकिन उनके चाचा ने उन्हें स्पष्ट रूप से कहा कि यदि वह इसे पहनना चाहते हैं, तो उन्हें इसे कमाना होगा। फिर गावस्कर ने जो किया वह इतिहास बन गया। बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन सुनील गावस्कर अपने परिवार के पहले क्रिकेटर नहीं हैं। उनके मामा माधव मंत्री थे, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 4 टेस्ट खेले। उनके बेटे ने भारत के लिए 11 वनडे मैच खेले। उनकी बहन की शादी महान बल्लेबाज जीआर विश्वनाथ से हुई है। एक अज्ञात तथ्य यह है कि उनकी बहन नूतन ने भी कुछ समय तक मुंबई में क्लब क्रिकेट खेला था।
होल्डर ने फेंकी थी पहली गेंद
गावस्कर ने अपनी आत्मकथा सनी डेज में लिखा है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी पहली गेंद होल्डर ने उनके पैरों पर फेंकी थी। उसने इसे फ्लिक करने की कोशिश की लेकिन कनेक्शन चूक गया। गेंद उनके पैड से टकराकर फाइन लेग पर गई और उन्होंने इस पर दो रन बटोरे। उन्होंने सोचा कि ये 2 लेग बाई के रूप में दिए जाएंगे, लेकिन अंपायर ने सोचा कि गावस्कर ने कनेक्शन बनाया है। उनका कहना है कि क्योंकि मैं बहुत घबराया हुआ था, उन 2 रनों ने मुझे अपने डेब्यू पर आत्मविश्वास दिया।
वेस्टइंडीज की खूब की ठुकाई
वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी पहली सीरीज में सुनील गावस्कर ने 774 रन बनाए थे। यह किसी बल्लेबाज द्वारा अपनी पहली सीरीज में बनाए गए सर्वाधिक रन हैं। वह अभी भी सबसे ज्यादा रन (2,749) बनाने वाले खिलाड़ी हैं और उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ सबसे ज्यादा शतक (13) लगाए हैं।
डॉन ब्रैडमैन का तोड़ा था रिकॉर्ड
सुनील गावस्कर क्रिकेट के दिग्गज डॉन ब्रैडमैन द्वारा बनाए गए 29 शतकों के आंकड़े को पार करने वाले पहले बल्लेबाज थे। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में कुल 34 शतक बनाए, जो दो दशकों से अधिक समय तक एक रिकॉर्ड बना रहा।
सुनील गावस्कर के नाम टेस्ट क्रिकेट में एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है। गावस्कर दो अलग-अलग स्थानों पर लगातार चार शतक बनाने वाले एकमात्र बल्लेबाज हैं। गावस्कर ने पोर्ट ऑफ स्पेन और वानखेड़े में यह वीरतापूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
विश्व कप टीम के थे हिस्सा
1983 में गावस्कर भारत की विश्व कप टीम का हिस्सा थे। हालांकि, उनका वनडे रिकॉर्ड कभी भी उनके टेस्ट करियर की ऊंचाई को नहीं छू सका, क्योंकि उनके समय में 50 ओवर का प्रारूप उतना ज्यादा नहीं खेला जाता था और फिर भी गावस्कर ने 1974 और 1987 के बीच भारत के लिए 120 एकदिवसीय मैचों में 3092 रन बनाए। वर्ष 2000 तक गावस्कर केवल छह टेस्ट सलामी बल्लेबाजों में से एक थे, जिन्होंने 50 से अधिक की औसत से 3000 से अधिक रन बनाए थे। गावस्कर का औसत न्यूनतम 1000 रन बनाने वाले खिलाड़ी के लिए 58.25 अब तक का दूसरा सर्वश्रेष्ठ है।
फिल्म में भी कर चुके हैं रोल
गावस्कर क्रिकेटर के साथ-साथ एक अभिनेता भी हैं। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत सावली प्रेमाची नामक मराठी फिल्म से की थी। वह फिल्म में लाड थे। फिर 1988 में गावस्कर ने नसीरुद्दीन शाह अभिनीत फिल्म मालामाल में एक छोटी सी भूमिका भी निभाई।
सुनील गावस्कर को दिए गए सम्मान
साल 1980 में गावस्कर को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1989 में गावस्कर को वर्ष के विजडन क्रिकेटरों में से एक नामित किया गया था। 1994 में गावस्कर को एक वर्ष के लिए मानद पद, बॉम्बे शेरिफ के रूप में शपथ दिलाई गई थी। 1996 में उनके सह-सम्मान में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की शुरुआत की गई थी। 2003 में वह एमसीसी स्पिरिट ऑफ क्रिकेट काउड्रे लेक्चर देने वाले पहले और एकमात्र भारतीय क्रिकेटर बने। 2009 में गावस्कर को आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया, तीन साल बाद 2012 में बीसीसीआई ने उन्हें कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया। 2017 में गावस्कर ने अमेरिका के लुइसविले केंटकी में एक क्रिकेट मैदान का उद्घाटन किया। यह किसी भारतीय खिलाड़ी के नाम पर नामित पहली अंतरराष्ट्रीय खेल सुविधा थी।
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