Haribhoomi Explainer: चंद्रयान-3 के सफल लॉन्चिंग के साथ इतिहास रचेगा भारत, जानें कितना खास है ISRO का नया मिशन

Haribhoomi Explainer: चंद्रयान-3 के सफल लॉन्चिंग के साथ इतिहास रचेगा भारत, जानें कितना खास है ISRO का नया मिशन
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Haribhoomi Explainer: इसरो अपने नए मिशन से पुराने इरादे को पूरा करने के लिए तैयारी कर ली है। जुलाई के तीसरे चौथे सप्ताह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चंद्रयान-3 को लांच करने की तैयारी कर रहा है। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से आपको बताते हैं क्या है इसरो का मिशन चन्द्रयान-3 और साथ ही बताएंगे कि यह चंद्रयान-2 से कितना अलग है।

Haribhoomi Explainer: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च करने की तैयारी पूरी कर ली है। चंद्रयान-3 श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर पहुंच गया है। जहां इंटिग्रेशन की प्रक्रिया अब चल रही है। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि 12 से 19 जुलाई के बीच चंद्रयान-3 लॉन्च किया जाएगा। पहले यान को जुलाई के पहले सप्ताह में लॉन्च विंडो में भेजने की तैयारी थी, लेकिन उस दौरान रूस के मिशन मून लैंडर की लॉन्च तारीख टकराने के कारण भारत इसे आगे बढ़ा दिया है।

भारत का ड्रीम मिशन चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन है। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एमके III से लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-3 ने लॉन्च से पहले होने वाले सभी परीक्षण को सफलतापूर्वक पार कर लिया है।

क्या है मिशन चंद्रयान-3

चंद्रयान-2 का अगला पार्ट चंद्रयान-3 है। इसे चंद्रयान-2 के मुकाबले ज्यादा वजनी लॉन्च व्हीकल GSLV MK3 से लॉन्च किया जाएगा। यह भारत का सबसे हैवी लॉन्च व्हीकल है। इसे भेजने का उद्देश्य सॉफ्ट लैंडिंग कराने की क्षमता हासिल करना है।

इसरो चांद में सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की एंड-टू-एंड क्षमता का प्रदर्शन करेगा। चंद्रयान-3 मिशन चांद के भूकंप और मौलिक संरचना की थर्मल फिजिकल प्रॉपर्टीज के अध्ययन में मदद करेगा। इससे वैज्ञानिकों को आने वाले समय पर चांद पर इंसानों को बसाने की तकनीक तैयार करने में सहायता मिलेगी। इस मिशन की सफलता अंतरिक्ष में इंसान को भेजने के मिशन की क्षमता को और मजबूती देगा। भारत इसी मिशन के बाद गगनयान मिशन के जरिए अंतरिक्ष में मनुष्यों को भेजने की तैयारी कर रहा है।

चंद्रयान-3 की बनावट

चंद्रयान-3 तीन हिस्सों से बना है। ये 3 हिस्से हैं:

1. प्रोपल्शन मॉड्यूल- यान को उड़ाने वाला हिस्सा

2. लैंडर मॉड्यूल- यान को नीचे उतारने वाला हिस्सा

3. रोवर- यान का मुख्य हिस्सा है जो यान को घुमाने और जानकारी जुटाने का काम करता है।

मिशन चंद्रयान-2 में एक हिस्सा और था, जिसे ऑर्बिटर कहते हैं वो इस यान मे नहीं है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चंद्रमा के चक्कर काट रहा है और चंद्रयान-3 उसी का इस्तेमाल करेगा।

दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा चंद्रयान-3

मिशन चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा। इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इसमें कई अतिरिक्त सेंसर को जोड़ा गया है और इसकी गति को मापने के लिए इसमें एक लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर को भी लगाया गया है।

चंद्रमा की सतह की जानकारी जुटाएगा यान

चंद्रयान-3 मिशन अपने साथ कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को ले जाएगा। जिससे लैंडिंग साइट के आसपास की जगह में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत, चंद्रमा के भूकंप और चंद्र सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टीज की जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी।

भारत रचेगा इतिहास

चंद्रयान-3 को चांद पर उतारने में अगर भारत सफल रहा तो इतिहास रच देगा। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा जिसने चंद्रयान को सफलतापूर्वक चांद पर उतारा है। अब तक रूस, चीन और अमेरिका ने ऐसा कारनामा किया है। भारत ने 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 के जरिए कोशिश की थी। तब चंद्रयान का लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के कारण मिशन फेल हो गया है।

क्या था मिशन चंद्रयान-2

भारत ने इस मिशन से पहले साल 2019 में चंद्रयान-2 के जरिए इस मिशन को हासिल करने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता मिलने के पहले ही मिशन कुछ खराबी के कारण फेल हो गया था। उस समय चंद्रयान का लैंडर विक्रम चंद्रमा पर लैंड करने से पहले ही कुछ किलोमीटर की ऊंचाई पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दौरान लैंडिंग साइट से संपर्क टूटने के कारण सफल लैंडिंग नहीं हो पाई थी। इसी के साथ चंद्रयान का 47 दिनो का सफल सफर खत्म समाप्त हो गया था।

चंद्रयान-2 से अलग होगा चंद्रयान-3

इसरो चीफ एस सोमनाथ (S Somanath) का कहना है कि चंद्रयान-3 रोवर अपने पुराने चंद्रयान-2 की कॉपी नहीं है। इसमें रोवर लगा है और इसकी इंजीनियरिंग काफी अलग है। हमने इसे और अधिक मजबूत बनाया है, ताकि पिछली बार की तरह समस्या न हो। इस बार कई बदलाव किए गए हैं। इम्पैक्ट लैग्स मजबूत हैं। इसमें बेहतर उपकरण होंगे। रोवर को विकसित किया जा रहा है जिससे यात्रा की ऊंचाई की गणना करने, खतरे से मुक्त स्थानों की पहचान करने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जा सके और इसमें बेहतर सॉफ्टवेयर का उपयोग होगा।

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क्या था मिशन चंद्रयान-1

चंद्रमा की तरफ जाने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान चंद्रयान-1 था। इस अभियान में मानव रहित यान को 22 अक्टूबर, 2008 को चंद्रमा पर भेजा गया और यह 30 अगस्त, 2009 तक जो एक्टिव था। इस यान 5 दिन में चन्द्रमा तक पहुंच गया था, लेकिन चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित होने में 15 दिनों का समय लग गया था। चंद्रयान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के नक्शे के साथ साथ पानी और हीलियम की तलाश करना था। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा से 100 किमी ऊपर 525 किग्रा का एक उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया। इस उपग्रह ने अपने रिमोट सेंसिंग (दूर संवेदी) उपकरणों के जरिए चंद्रमा की ऊपरी सतह के चित्र भी भेजे थे। चंद्रयान-1 के साथ भारत चांद पर यान भेजने वाला दुनिया का छठा देश बना था।

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