Haribhoomi Explainer: 'हार स्वीकार, काश जमानत जब्त न होती', पढ़िये बड़े-बड़े नेता भी क्यों हो जाते हैं बेचैन

Haribhoomi Explainer: कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections) ने जहां कांग्रेस (Congress) का आत्मविश्वास बढ़ा दिया है, वहीं बीजेपी (BJP) अपनी हार के कारणों का विश्लेषण करने में जुटी है। इसी कड़ी में एक और पार्टी है, जो कि कर्नाटक चुनाव नतीजे आने के बाद से बेचैन है। बात कर रहे हैं आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की। इस पार्टी ने जिस भी राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ा तो अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन शायदा पहला मौका है, जब इस पार्टी का एक भी प्रत्याशी अपनी जमानत राशि नहीं बचा सका। क्या आप जानते हैं कि यह जमानत जब्त (Deposit Forfeited in Election) होने का क्या अर्थ होता है। आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर में आपको न केवल जमानत जब्त होने के शब्द का अर्थ समझाएंगे, बल्कि यह भी बताएंगे कि किस स्थिति में किसी प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त क्यों की जाती है।
आप के 208 प्रत्याशियों की जमानत जब्त
कर्नाटक में कुल 224 विधानसभा सीटें हैं। कांग्रेस ने इन 224 सीटों में से 136 सीटों पर जीत हासिल की, वहीं भाजपा केवल 66 सीट ही जीत पाई। आम आदमी पार्टी की बात करें तो कुल 224 सीटों में से 208 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारा था। लेकिन एक भी प्रत्याशी अपनी जमानत बचा नहीं सका। हालांकि आप नेताओं का कहना है कि कर्नाटक में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर बढ़ा है।
फिर जमानत जब्त होने पर यह बेचैनी क्यों
जब कोई भी उम्मीदवार चुनाव लड़ना चाहता है, तो सबसे पहले नामांकन पर्चा भरना पड़ता है। पर्चा भरने के दौरान ही उम्मीदवार को जमानत राशि जमा करनी होती है। चुनाव आयोग उम्मीदवार से तय रकम जमा करवाता है, जिसे जमानत राशि कहते हैं। जमानत राशि हर चुनाव में अलग-अलग होती है। पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति के चुनाव में भी जमानत राशि उम्मीदवार को जमा करनी पड़ती है। चुनाव आयोग जमानत राशि की ही भांति वोट संख्या भी निर्धारित करता है। चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित वोटों से कम वोट पाने वालों की जमानत राशि चुनाव आयोग जब्त कर लेता है।
जमानत बचाने का फाॅर्मूला समझिये
चुनाव आयोग के नियमानुसार, जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता, तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है। यही नियम पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव पर भी लागू होता है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को अपनी जमानत बचाने के लिए भी 1/6 वोट हासिल करने ही होते हैं।
किन स्थितियों में वापस होती है जमानत राशि
चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित किए गए वोट न प्राप्त कर पाने पर उम्मीदवार की जमानत राशि जब्त हो जाती है। हालांकि कुछ ऐसी भी स्थितियां होती हैं, जिनमें जमानत राशि उम्मीदवार को वापस मिल जाती है। नीचे पढ़िये कौन सी हैं वे स्थितियां...
- जब किसी उम्मीदवार को कुल वोटों का 1/6 वोट या इससे ज्यादा वोट प्राप्त होता है, तो उसकी जमानत राशि चुनाव आयोग वापस कर देता है।
- चुनाव में जीतने वाले उम्मीदवार की भी जमानत राशि वापस कर दी जाती है, फिर चाहे उसे 1/6 से कम ही वोट मिले हों।
- कोई उम्मीदवार जब अपना नामांकन वापस लेता है या नामांकन रद्द होता है, तो इन स्थितियों में भी जमानत राशि वापस कर दी जाती है।
- चुनाव आयोग के नियमानुसार, अगर वोटिंग शुरू होने से पहले यदि किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है, तो उसके परिजनों को जमानत राशि लौटा दी जाती है।
किस चुनाव में कितनी जमानत राशि
लोकसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है। वहीं, एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ये रकम 12,500 रुपये होती है। विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये होती है, तो वहीं एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 हजार रुपये जमा करने होते हैं।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में सभी वर्गों के लिए जमानत राशि की रकम एक ही होती है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए उम्मीदवार को 15 हजार रुपये जमानत राशि के रूप में जमा करने होते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जमानत राशि का जिक्र रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 में जबकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की जमानत राशि का जिक्र प्रेसिडेंटएंड वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट, 1952 में किया गया है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीदवार को जमानत राशि के रूप में 50 से 500 रुपये तक जमा करने होते हैं। वार्ड सदस्य का चुनाव लड़ने वाले सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को 100 रुपये जमानत राशि जमा कराना होता है। वहीं एसटी, एसटी तथा किसी भी जाति की महिला प्रत्याशी को 50 रुपये जमा करने होते हैं। मुखिया अथवा पंचायत समिति सदस्य पद पर चुनाव लड़ने वाले सामान्य जाति के उम्मीदवार को 250 रुपये तथा इसी पद के एसटी, एससी महिला प्रत्याशी को 125 रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा करने होते हैं। जिला परिषद सदस्य के सामान्य प्रत्याशी को 500 रुपये, जबकि महिला, एसटी-एससी प्रत्याशी को 250 रुपये जमानत राशि के तौर जमा करने होते हैं।
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