Haribhoomi Explainer: लैंड फॉर जॉब स्कैम में तेजस्वी समेत लालू कुनबे पर लगे गंभीर आरोप, यहां पढ़िए Scam की पूरी कहानी

Haribhoomi Explainer: बिहार के लैंड फॉर जॉब स्कैम (Land for Job Scam) यानी जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में सीबीआई (CBI) ने दूसरी चार्जशीट (Charge Sheet) दाखिल कर दी है। जारी की गई चार्जशीट में पहली बार बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) का नाम लिया गया है। सीबीआई की इस चार्जशीट में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav), उनकी पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) के साथ 14 अन्य के खिलाफ जमीन के बदले नौकरी घोटाले में आरोप पत्र दायर किया। इसपर यादव परिवार ने आरोपों से इनकार करते हुए केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार (NDA Government) पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से जानते हैं बिहार के लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले की पूरी कहानी...
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कथित भूमि-नौकरी घोटाले से संबंधित एक मामले में अपना आरोप पत्र दायर किया है और इसमें राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी और मौजूदा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम शामिल है।
सीबीआई की चार्जशीट में तेजस्वी का पहली बार नाम
यह पहली बार है कि सीबीआई किसी भी चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम शामिल की है। यानी यह पहला अवसर है जब सीबीआई ने तेजस्वी को भी आरोपी बताया है। यह मामला रेलवे भर्ती प्रक्रियाओं में घोटाले से संबंधित है जब लालू प्रसाद 2004 से 2009 तक केंद्रीय रेल मंत्री थे।
लालू यादव के मंत्री रहने के दौरान हुआ था पूरा खेल
राजद सुप्रीमो लालू यादव पर यूपीए शासन में मंत्री रहने के दौरान अपनी बेटियों और बेटे तेजस्वी यादव सहित अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन के भूखंडों के बदले रेलवे में ग्रुप डी नियुक्तियों की पेशकश करने का आरोप है इसी आरोप को लेकर सीबीआई ने अक्टूबर 2022 में दावा किया था कि भर्ती के लिए भारतीय रेलवे के निर्धारित दिशानिर्देशों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए रेलवे में अनियमित नियुक्तियां की गई। इसमें दावा किया गया कि उम्मीदवारों ने खुलासा किया है कि उन्होंने लालू प्रसाद और उनके परिवार को मौजूदा बाजार दर के पांचवें हिस्से तक जमीन बेची थी।इसी मामले को लेकर 18 मई, 2022 को लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और बेटियों डॉ भारती और हेमा यादव के अलावा 12 अन्य पर मुकदमा दर्ज किया गया था।
कहानी लैंड फॉर जॉब की
2004 से 2009 के बीच कुछ लोगों को रेलवे में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती कराने के बहाने उनसे उनकी जमीनें लेकर नौकरी का लालच दिया गया। इसमें कुछ जमीनों का सौदा नकद में हुआ तो कुछ गिफ्ट के तौर पर ली गई। हालांकि, जमीन मिलने के बाद उन लोगों को रेलवे में रेगुलर भर्ती कर दिया गया था। बस इतनी ही है कहानी लैंड फॉर जॉब स्कैम यानी जमीन के बदले नौकरी की।
जमीन के बदले नौकरी नहीं, तैयार थी पूरी साजिश
जांच के दौरान, सीबीआई ने दावा किया था कि उसे पटना के 10 सर्कुलर रोड से एक हार्ड डिस्क मिली है, जिसका इस्तेमाल लालू प्रसाद ने अपने कैंप कार्यालय के रूप में किया था, जिसमें 1,458 उम्मीदवारों की सूची थी जो उनके कार्यकाल के दौरान रेलवे में नौकरी पाए थे।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि रेल मंत्री के रूप में, लालू प्रसाद ने अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के साथ विभिन्न लोगों की जमीन हड़पने के लिए आपराधिक साजिश रची, जो रेलवे में विकल्प के रूप में ग्रुप डी की नौकरी पाने और बाद में नियमित होने की इच्छा रखते थे। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि लालू प्रसाद ने अपने सहयोगियों की मदद से भूमि पार्सल की पहचान की और एक अप्रत्यक्ष योजना तैयार की, जिसमें उम्मीदवारों को पहले अस्थाई के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में रेलवे में नियमित कर दिया गया जब उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी भूमि को नौकरी के बदले में दे दी।
लालू का भर्ती में सीधा हस्तक्षेप
सीबीआई ने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद ने जोन के महाप्रबंधकों के साथ भर्ती प्रक्रिया का पालन करने में व्यक्तिगत रुचि ली। लालू के ही कहने पर रेलवे अधिकारियों ने अनुचित जल्दबाजी में आवेदन करने के तीन दिनों के भीतर उम्मीदवारों को कथित तौर पर ग्रुप डी पदों पर नियुक्त किया और बाद में सदस्यों ने अपनी जमीन स्थानांतरित कर दी, तो उन्हें नियमित कर दिया गया।
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