Haribhoomi Explainer: टमाटर को लेकर शुरू हुआ सियासी घमासान, क्या BJP के लिए बिगाड़ेगा 2024 का खेल

Haribhoomi Explainer: पिछले एक सप्ताह से देश के सभी राज्यों में टमाटर (Tomato) की कीमत आसमान छू रही हैं। टमाटर की खुदरा कीमत लगभग 100 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर गयी है। मंगलवार को कुछ स्थानों पर यह 105 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक पर बिक रहा था। मौजूदा हालत को देखते हुए व्यापारियों और उत्पादकों को कीमतों में गिरावट की उम्मीद नहीं दिख रही है। टमाटर के बढ़ते रेट को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के कई नेता वित्त मंत्रा निर्मला सीतारमण की तस्वीर लगाकर टमाटर के दाम कब कम होंगे पूछने लगे हैं। इस पर कांग्रेस ने ट्वीट कर टमाटर को बेशकीमती बताया है। वहीं अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि केंद्र सरकार की कमी के कारण टमाटर के रेट आसमान छू रहे हैं, देश की जनता अब 2024 में मोदी सरकार की विदाई की तैयारी कर रही है। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से जानते हैं कि देश भर में अचानक टमाटर इतने मंहगे क्यों हो गए हैं।
बेशकीमती 🍅 pic.twitter.com/iirASKqHuh
— Congress (@INCIndia) June 27, 2023
क्यों हुए महंगे टमाटर
टमाटर की मौजूदा ऊंची कीमतों का कारण अप्रैल-मई (April-May) में अचानक गिरावट से पता लगाया जा सकता है। इसके कारण कई उत्पादकों को अपनी फसलें छोड़नी पड़ीं। मार्च और अप्रैल की असामान्य गर्मी में कीटों के हमले भी देखे गए जिससे उत्पादन पर काफी असर पड़ा। भारत में टमाटर की दो प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं। रबी (Rabi) की फसल, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र (Maharashtra) के जुन्नार (Junnar) तालुका और कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में उगाई जाती है, मार्च और अगस्त के बीच बाजार में आती है। अगस्त के बाद बाजार में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के नासिक और देश के अन्य हिस्सों में खरीफ फसल की आपूर्ति होती है।
इस साल क्या गलत हुआ
3-4 इंच लंबे टमाटर के पौधों को दिसंबर-जनवरी या फरवरी-मार्च में खेतो के ऊंची क्यारियों में लगाया जाता है। पहली फसल अप्रैल तक होती है। दूसरी फसल अगस्त-सितंबर में तैयार हो जाती है। टमाटर की फसल तैयार होने में कुल तीन महीने का समय लगता है।
किसान आम तौर पर यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी हिस्सेदारी बदलते रहते हैं कि उनके पास अगस्त- सितंबर तक बाजार के लिए फसलें तैयार हों। किसानों के लिए, रबी की फसल बेहतर रिटर्न लाती है। महाराष्ट्र में जुन्नार टमाटर उत्पादक संघ के अध्यक्ष दीपक भिसे ने कहा कि रबी टमाटर की उत्पादन लागत लगभग 12 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि खरीफ की उत्पादन लागत 10 रुपये प्रति किलोग्राम है। उन्होंने कहा, गर्मी के दौरान कीटों के हमलों की अधिक घटनाओं के लिए अधिक नियंत्रण की आवश्यकता होती है और इस प्रकार उत्पादन की लागत नाममात्र अधिक होती है।
टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी अस्थायी
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी अस्थायी है और जल्द ही इसमें कमी आएगी। उन्होंने कहा कि यह बहुत जल्दी खराब होने वाली सब्जी है। देश के कई इलाकों में अचानक हुई बारिश के कारण परिवहन में दिक्कतें आ रही हैं, जिससे टमाटर मंडियों तक नहीं पहुंच पाता और कीमतें बढ़ जाती हैं। हर साल बारिश के दौरान टमाटर के दाम बढ़ जाते हैं। 2022-23 में टमाटर का उत्पादन 20.62 मिलियन टन होने का अनुमान है। आगे उन्होनें कहा कि 27 जून को अखिल भारतीय आधार पर टमाटर की औसत कीमत 46 रुपये प्रति किलोग्राम थी, लेकिन अधिकतम कीमत 122 रुपये प्रति किलोग्राम भी दर्ज की गई। टमाटर की खुदरा कीमत दिल्ली में 60 रुपये, मुंबई में 42 रुपये, कोलकाता में 75 रुपये और चेन्नई में 67 रुपये प्रति किलोग्राम है। कर्नाटक के गोरखपुर और बेल्लारी में टमाटर सबसे ऊंचे भाव 122 रुपये प्रति किलो पर बिक रहा है।
सरकार शुरू करेगी टमाटर ग्रैंड चैलेंज
टमाटर की कीमतों में अचानक वृद्धि और गिरावट से निपटने के लिए, उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय 30 जून को टमाटर ग्रैंड चैलेंज शुरू करेगा। इसका उद्देश्य टमाटर के उत्पादन, प्रसंस्करण और भंडारण में सुधार के लिए नवीन विचारों को आमंत्रित करना है। इस पर मंत्रालय ने कहा, हमने पहले भी प्याज क्षेत्र में इसी तरह की चुनौती शुरू की थी, जिससे प्याज के मूल्यों में गिरावट आई थी। टमाटर के बढ़ते दाम को कम करने के लिए हमें लगभग 600 नए सुझाव आए हैं, जिनमें से 13 सुझावों पर अब विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में काम किया जा रहा है।
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कब कम होंगी कीमतें
किसानों ने वर्तमान में टमाटर की कीमतों में नरमी की संभावना से इनकार किया है। किसानों का कहना है कि अगस्त-सितंबर में नई फसल आने के बाद ही टमाटर की कीमतों में गिरावट आएगी। वहीं सरकार का कहना है कि मानसून के कारण टमाटर की ठीक ढंग से सप्लाई नहीं हो पाई है, जिसके कारण टमाटर की कीमतों में इजाफा हुआ है। यह पहली बार नहीं हुआ है, हर साल बारिश के दौरान टमाटर के दाम बढ़ जाते हैं। लेकिन, जल्द ही टमाटर की सप्लाई ठीक से शुरू होते ही टमाटर की कीमतों में गिरावट आ जाएगी।
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