Haribhoomi Explainer: दहेज में दे दिया गया था मुंबई शहर, जानिये Mumbai City की अजब कहानी

Haribhoomi Explainer: दहेज में दे दिया गया था मुंबई शहर, जानिये Mumbai City की अजब कहानी
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Haribhoomi Explainer: भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंबई शहर (Mumbai City) को लेकर एक अजीब कहानी जुड़ी हुई है। आज से लगभग 355 साल पहले भारत में शासन कर रहे पुर्तगालियो ने इस मुंबई शहर को दहेज में दे दिया गया (mumbai given in dowry) था। क्या आपको यह कहानी पता है। अगर नहीं, तो पढ़िये आज का हरिभूमि एक्सप्लेनर, जिसमें आपको इस सपनों के शहर से जुड़ी दिलचस्प जानकारी मिलेगी।

Haribhoomi Explainer: सपनों की नगरी मुंबई (Mumbai) को भारत की आर्थिक राजधानी वाला शहर भी कहा जाता है। इसी मुंबई को पहले बम्बई या बॉम्बे नाम से जाना जाता था। मुंबई को भारत का प्रवेश द्वार माना जाता है और भारत के सपनों का शहर भी है। मुंबई शहर से जुड़ी तमाम घटनाएं आपने सुनी होंगी, लेकिन 17वीं शताब्दी में इस शहर के साथ घटी एक दिलचस्प घटना के बारे में शायद ही आपने सुना होगा। दरअसल, मुंबई शहर को आज के ही दिन यानी 23 जून को पुर्तगालियो ने इंग्लैंड (England) के राजा को दहेज में दे दिया था। इस घटना के बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से हम आपको मुंबई शहर को दहेज में देने की दिलचस्प घटना के बारे में बताते हैं, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।

15 वीं शताब्दी के शुरुआत में जब मुंबई द्वीप समूह गुजरात सल्तनत के कब्जे में था, तब पहली बार पुर्तगालियों ने इसपर अपना अधिकार जमाने के लिए हमला बोला। लेकिन, उस समय वो इसे जीत नहीं पाए। इसके बाद उन्होंने 1534 ईस्वी में मुंबई द्वीप समूह पर एक बार फिर हमला किया। तब यहां गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह का कब्जा था, जिसे पुर्तगालियों ने हथिया कर इस द्वीप समूह पर अपना अधिकार कर लिया। उसके बाद इस द्वीप समूह पर उन्होंने कई सालों तक राज किया। पुर्तगालियों के शासन की वजह से मुंबई अच्छा व्यवसायिक केन्द्र बन गया था।

17 वीं शताब्दी की शुरुआत में जब पहली बार भारत में अंग्रेज आए तो उनकी भी निगाह मुंबई द्वीप समूह पर पड़ी। अंग्रेजों को मुंबई खूब पसन्द आई, जिसका कारण था कि उस समय तक यह द्वीप समूह एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक केंद्र बन चुका था। इस द्वीप समूह को लेकर अंग्रेजों और पुर्तगालियों में कई बार विवाद भी हुए। बाद में दोनों के बीच का यह विवाद तब खत्म हुआ, जब पुर्तगाल के राजा ने अपनी बेटी ब्रि‍गांजा कैथरीन की शादी इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय से करने का फैसला किया। यह शादी 31 मई 1662 को हुई थी और 23 जून को मुंबई शहर दहेज में दिया गया।

कौन थीं राजकुमारी कैथरीन

कैथरीन पुर्तगाल की राजकुमारी थीं। उनका जन्म नवंबर 1638 में हुआ था। उनकी शादी जून 1661 में इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय के साथ हुई थी। असल में यह शादी कम और विवाह संधि ज्यादा थी। वैसे तो इस शादी में पुर्तगाल ने दहेज में इंग्लैंड को बहुत कुछ दिया, लेकिन सबसे जरूरी चीज जो उसने दी, वो था मुंबई द्वीप समूह। पुर्तगाल ने पूरे मुंबई शहर को ही दहेज में इंग्लैंड के राजा को दे दिया था। हालांकि बाद में राजा चार्ल्स द्वितीय ने मुंबई द्वीप समूह को ईस्ट इंडिया कंपनी को मात्र 10 पाउंड प्रति वर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिया। दहेज के रूप में मिली मुंबई को चार्ल्स द्वितीय ने ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया और इसके बदले में कंपनी ने चार्ल्स द्वितीय को 50 हजार पौंड को 6 प्रतिशत की ब्याज की दर से लोन में दे दिया। इसके साथ ही मुंबई शहर के किराए के रूप में ब्रिटिश शासक को हर साल 10 पौंड की राशि देने की भी शर्त रखी गई थी। इस तरह अंग्रेजों का कब्जा शहर पर हो गया। जो तब से भारत की आजादी तक रहा।

मुंबई पर अधिकार करने में लग गए 6 साल

इतिहासकारों के मुताबिक ब्रि‍गांजा कैथरीन और चार्ल्स की शादी 31 मई 1662 को हुई थी, लेकिन उन्हें दहेज के रूप में मिले मुंबई पर अपना अधिकार पाने में करीब 6 साल का वक्त लग गया। विवाद की वजह पुर्तगाली शासकों और ब्रिटिश लोगों के बीच का वह मतभेद था, जिसमें यह तय ही नहीं हो पा रहा था कि मुंबई के जिस क्षेत्र को दहेज के रूप में दिया गया है, उसका दायरा कितना है।

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क्षेत्र के दायरे को लेकर था विवाद

मुंबई दहेज में मिलने के बाद इसके क्षेत्र को लेकर काफी विवाद हुआ था। मुबंई के नक्शे में ठाणे को लेकर कुछ अन्य इलाकों को मुंबई का हिस्सा बताया गया था, इसके साथ ही कुछ अन्य क्षेत्रों को लेकर भी विवाद था। जिस पर सहमति बनाने में करीब 6 साल का समय लग गया। इसके बाद 27 मार्च 1668 को चार्ल्स ने मुंबई पर अपना अधिकार प्राप्त करके मुंबई शहर को ईस्ट इंडिया कंपनी को इसके मालिकाना हक सौंप दिया था।

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