Haribhoomi Explainer: धर्मांतरण विरोधी कानून वापस लेगी कर्नाटक सरकार, किताबों से हटेंगे सावरकर, जानें क्या है पूरा मामला

Haribhoomi Explainer: धर्मांतरण विरोधी कानून वापस लेगी कर्नाटक सरकार, किताबों से हटेंगे सावरकर, जानें क्या है पूरा मामला
X
Haribhoomi Explainer: कर्नाटक की सिद्धारमैया (Siddaramaiah) सरकार ने बीते गुरुवार को कई बड़े फैसले लिए हैं, जिनमें पूर्व सरकार द्वारा लाये गये धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेना भी शामिल है। इसके साथ ही कर्नाटक सरकार पाठ्यक्रम से बी हेडगेवार और वीर सावरकर समेत विवादित लेखकों के भाषणों को हटाने का फैसला किया है। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से आपको धर्मांतरण विरोधी कानून के बारे मे विस्तार से बताते हैं और साथ ही हम आपको इस कानून से जुड़ी तमाम बातें भी बताएंगे...

Haribhoomi Explainer: विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक के कन्नड़ और सामाजिक अध्ययन की किताबों में शामिल किए गए जीबी हेडगेवार और वीर सावरकर समेत विवादित लेखकों के भाषणों को हटाने का फैसला किया है। इस फैसले के साथ ही कांग्रेस सरकार ने बीजेपी सरकार की ओर से लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने का फैसला किया है।

धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने का मतलब है कि अब जो लोग अपना धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं, उन्हें ऐसा करने से पहले जिलाधिकारी की ओर से इजाजत नहीं लेनी होगी। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से आपको बताते हैं धर्मांतरण विरोधी कानून के बारे में...

क्या है धर्मांतरण विरोधी कानून

यह एक ऐसा कानून है जो धर्मांतरण पर रोक लगाता है। इस कानून के तहत एक धर्म से दूसरे धर्म में जबरन किसी के प्रभाव में या बहकाकर धर्म परिवर्तन कराना गैरकानूनी बताया गया है। इस कानून के उल्लंघन पर तीन से पांच साल की कैद और 25000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के तहत धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। सामूहिक तौर पर धर्म परिवर्तन के लिए तीन साल से लेकर दस साल तक की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। कानून मे यह भी है कि कोई भी शादी जो धर्म परिवर्तन के इरादे से ही की गई हो, उसे फैमिली कोर्ट द्वारा अवैध माना जाएगा। जो गैरजमानती अपराध की श्रेणी मे आता है।

अब हर रोज पढ़ने होंगे संविधान की प्रस्तावना

कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने स्कूलों और कॉलेजों में प्रार्थना के साथ संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य करने का फैसला किया है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि कृषि उत्पाद बाजार समिति अधिनियम में संशोधन का भी निर्णय लिया है ताकि पुराने कानून को बहाल किया जा सके।

भाजपा की पूर्व सरकार लाई थी धर्मांतरण विरोधी कानून

भाजपा नेतृत्व वाली पूर्व सरकार कर्नाटक में धर्मांतरण कानून लाई थी। तब भी कांग्रेस और जेडीएस ने भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन था। भाजपा सरकार ने विधानसभा से तो पिछले साल दिसंबर में कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल पास कर लिया था। लेकिन विधान परिषद में उस वक्त पर्याप्त बहुमत न होने के कारण से यह बिल अटक गया था। इसी कारण सरकार को विधेयक को प्रभाव में लाने के लिए मई में अध्यादेश लाना पड़ा था। उस समय तत्कालीन गृह मंत्री ने यह तर्क दिया था कि राज्य में प्रलोभन देकर और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं आम हो गई हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ये कानून लाया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि यह विधेयक किसी की धार्मिक आजादी नहीं छीनता। कोई भी व्यक्ति अपने अनुसार धर्म चुन सकता है, लेकिन किसी दबाव अथवा प्रलोभन में नहीं।

किन राज्यों में लागू है धर्मांतरण विरोधी कानून

अकेले कर्नाटक ही नहीं, देश के अन्‍य कई राज्‍यों में भी धर्मांतरण कानून लागू है। ये धर्मांतरण कानून ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा में लागू है। इनमें अभी तक कर्नाटक भी थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने आते ही इसे अब खत्‍म कर दिया है।

धर्मांतरण विरोधी कानून की क्या थी जरूरत

धर्मांतरण विरोधी कानून को कर्नाटक समेत अन्‍य कुछ राज्‍यों ने इसलिए लागू किया गया, ताकि तेजी से हो रहे धर्मांतरण पर रोक लगाया जा सके। वर्तमान में धोखे, छल, लालच समेत अन्‍य जरिए से कमजोर नागरिकों को संगठित और व्यवस्थित तरीके से बड़ी संख्‍या में धर्मांतरण किए जा रहे हैं। इसके उदाहरण भी समय-समय पर सामने आते रहते हैं। इस कानून के आने के बाद धर्मांतरण जैसे मामलों में कमी देखने को मिली है। हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी का कहना है कि इस कानून से धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है। राज्य का माहौल एकदम शांत है, कर्नाटक में ऐसे किसी भी कानून की कोई जरूरत नहीं है।

Also read: Haribhoomi Explainer: 'क्रिकेट की मौत' के बाद शुरू हुआ एशेज, जानिए इतिहास और आंकड़े...

पूरे देश में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने की तैयारी में केंद्र सरकार

केंद्र की मोदी सरकार इस कानून को पूरे देश भर में लागू किए जाने की पैरवी कर रही है। जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर है, जिसमें केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दाखिल किया है। उसमें बताया है कि क्‍यों इसे लागू करना जरूरी है। इस याचिका में देश भर में काला जादू, अंधिविश्‍वास, चमत्‍कार, समेत अन्‍य माध्‍यमों से जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं का हवाला देते हुए धर्मांतरण विरोधी कानून देशभर में लागू करने की मांग की है।

Tags

Next Story