Haribhoomi Explainer: उत्तराखंड में UCC का ड्राफ्ट बनकर तैयार, पढ़िये इसकी खास बातें

Haribhoomi Explainer: उत्तराखंड में UCC का ड्राफ्ट बनकर तैयार, पढ़िये इसकी खास बातें
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Haribhoomi Explainer: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) पर गठित कमेटी ने यूसीसी कानून के लिए अपना ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इस पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यूसीसी कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद इसे लागू करने पर विचार किया जाएगा। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से जानते हैं कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के तैयार ड्राफ्ट में खास बात क्या है। साथ ही यह भी जानेंगे कि क्या उत्तराखंड का यूसीसी ड्राफ्ट भारत के लिए भी मॉडल बनेगा।

Haribhoomi Explainer: देश भर में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर जुबानी जंग जारी है। कई विपक्षी दल इस पर अपना समर्थन दे रही हैं, तो कई दल इस पर विरोध दर्ज करा रहे हैं। एक तरफ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) पर अपना समर्थन दिया है। आप का कहना है कि UCC संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत के रूप में वर्णन किया गया है, अगर वह लागू करने की तरफ सरकार कदम बढ़ा रही है, तो इसपर हमारा सैद्धांतिक समर्थन होगा, लेकिन तब ही जब इससे किसी की धार्मिक स्वतंत्रता (Freedom Of Religion) आहत न हो। उधर, उद्धव ठाकरे की पार्टी भी UCC पर सरकार का समर्थन करती नजर आ रही है। एक तरफ जहां विपक्षी दल इस बिल का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इसका जमकर विरोध भी देखने को मिल रहा है। भारत का आदिवासी समूह (Tribal Groups) UCC का खूब विरोध कर रहा है।

इसी विरोध और समर्थन के बीच उत्तराखंड (Uttarakhand) समान नागरिक संहिता कानून राज्य में लागू करने के लिए तेजी से कदम बड़ा रहा है। उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। अब इस ड्राफ्ट को उत्तराखंड सरकार को सौंपा जाएगा, जिसके बाद इसे लागू करने में और तेजी आएगी। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से जानते हैं कि उत्तराखंड सरकार द्बारा तैयार समान नागरिक संहिता के मसौदे में क्या-क्या है।

क्या कहता है UCC का मसौदा

उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की दिशा में तेजी से कदम और बढ़ा दिया है। राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए बनाई गई समिति ने अपना काम लगभग पूरा कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश और मसौदा तैयार करने वाली एक्सपर्ट कमेटी की प्रमुख जस्टिस रंजना प्रकाश ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। जस्टिस देसाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कमेटी ने लैंगिक समानता के साथ ही भेदभाव को खत्म कर सभी वर्गों को समान स्तर पर लाने का प्रयास किया है।

पूर्व न्यायाधीश और मसौदा तैयार करने वाली एक्सपर्ट पूर्व न्यायाधीश और मसौदा तैयार करने वाली एक्सपर्ट जस्टिस देसाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि उत्तराखंड के लिए प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो गया है। समिति की रिपोर्ट ड्राफ्ट कोड के साथ जल्द ही मुद्रित की जाएगी और उत्तराखंड सरकार को सौंपी जाएगी। आगे उन्होंने कहा कि समिति ने परिश्रमपूर्वक सभी प्रकार की राय को ध्यान में रखा है और चुनिंदा देशों में वैधानिक ढांचे सहित विभिन्न कानूनों और असंहिताबद्ध कानूनों पर गौर किया है। इसके अलावा समिति ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित विभिन्न पारंपरिक प्रथाओं की बारीकियों को समझने की कोशिश की है।

अब आगे क्या होगा

मसौदा तैयार होने के बाद अब ड्राफ्ट उत्तराखंड सरकार को भेजा जाएगा। इसे प्राप्त करने के बाद इसे राज्य कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी के बाद इसे विधानमंडल में पेश किया जाएगा। उत्तराखंड का यूसीसी केंद्र सरकार के यूसीसी का नमूना हो सकता है। यह भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार के चुनावी वादों में से एक है। विशेष रूप से, भाजपा के 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में, भाजपा ने सत्ता में आने पर यूसीसी को लागू करने का वादा किया था।

क्या है समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता भारत में प्रत्येक नागरिक के लिए एक सामान्य नागरिक संहिता या सामान्य कानून है, चाहे वह किसी भी धर्म और जाति का हो। समान नागरिक संहिता लागू होने से धर्मों के अपने पर्सनल कानून समाप्त हो जाएंगे। इस संहिता का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत के रूप में किया गया है। इसका उद्देश्य कमजोर समूहों के खिलाफ भेदभाव और लैंगिक असमानता जैसे मुद्दों को खत्म करना है।

सीएम धामी ने भी दी जानकारी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट बताया कि प्रदेशवासियों से किए गए वादे के अनुसार समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिये बनाई गई समिति ने 30 जून को अपना काम पूरा कर लिया है और जल्द ही देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करने का काम किया जाएगा।

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क्या है उत्तराखंड के यूसीसी में खास

एक मीडिया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के यूसीसी ड्राफ्ट की खास ये हैं

  • लड़कियों की शादी की उम्र सीमा बढ़ाई जाए।
  • शादी से पहले ग्रेजुएशन जिससे उम्र सीमा अपने आप बढ़ जाएगी- 18 साल से 21 साल।
  • परिस्थिति चाहे जो भी हो, विवाह का पंजीकरण आवश्यक होगा।
  • विवाह के पंजीकरण के बिना सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं।
  • विवाह के समय लड़कियों की उम्र का भी दस्तावेजीकरण किया जाएगा।
  • विवाह पंजीकरण ग्राम स्तर पर होना चाहिए।
  • पति-पत्नी दोनों को तलाक के लिए समान आधार मिलेगा।
  • तलाक का आधार पति-पत्नी दोनों पर लागू होगा, किसी एक पक्ष का पलड़ा भारी नहीं रहेगा।
  • बहुविवाह पर प्रतिबंध।
  • हलाला और इद्दत पर रोक लगाई गई।
  • लड़कियों को विरासत में लड़कों के बराबर हिस्सा मिलना चाहिए।
  • लिव-इन-रिलेशनशिप का घोषणा पत्र जरूरी, अभिभावकों को सूचित भी किया जाए।
  • यदि बच्चा अनाथ है तो संरक्षकता प्रक्रिया आसान होगी।
  • पति-पत्नी के बीच झगड़ा होने पर बच्चे की कस्टडी दादा-दादी को मिलेगी।
  • बच्चों की संख्या तय की जा सकेगी।
  • हर किसी को गोद लेने का अधिकार होगा - चाहे वह किसी भी धर्म, लिंग आदि का हो।

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