Haribhoomi Explainer: पश्चिम बंगाल का चुनावों में हिंसा से पुराना नाता, फिर भी विकास कार्यों में कई राज्यों से आगे

Haribhoomi Explainer: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो या विधानसभा चुनाव (Assembly Elections), हिंसा होनी तय होती है। कल यानी 8 जुलाई को पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) की वोटिंग के दौरान जमकर बवाल हुआ। चुनाव के दौरान हुई हिंसा (Violence) में 10 से अधिक लोगों की जान चली गई। विपक्ष का आरोप है कि अगर चुनाव में हिंसा होती रही तो राज्य पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। बीजेपी ने कहा है कि सीएम ममता बनर्जी कानून व्यवस्था कायम रखने में नाकाम साबित होती हैं और उन्हें केवल कुर्सी बचाने की फिक्र रहती है। बीजेपी के इस आरोपों से उलट राज्य के विकास की तस्वीर बात करें तो हाल में एक रिपोर्ट सामने आई है, जो दर्शाती है कि पश्चिम बंगाल बीजेपी शासित कई राज्यों से बेहद आगे हैं। आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा का कारण जानने के साथ बंगाल के विकास कार्य की तस्वीर भी समझेंगे।
बंगाल में हिंसा के पीछे की वजह
पंचायत चुनाव (Panchayat Election) की तारीख राज्य सरकार द्वारा घोषित करने के बाद से ही हिंसा शुरू हुई। विपक्ष ने खुलकर इसका विरोध किया और दावा किया कि चुनाव के लिए 60,000 उम्मीदवारों के पास नामांकन (Enrollment) दाखिल करने के लिए पर्याप्त दिन नहीं थे। इसी को लेकर अगले दिनों में राज्य के भीतर कई स्थानों पर हिंसक घटनाएं हुईं। बीजेपी, लेफ्ट और कांग्रेस ने टीएमसी पर उनके उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोकने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, टीएमसी ने खुद को निर्दोष बताया और पार्टी कार्यकर्ताओं से हिंसा-मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने को कहा। हालांकि, वोटिंग के दिन भी पश्चिम बंगाल में झड़प की खबरें आती रहीं।
क्या फिर से होगा पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव
पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने सुपरवाइजर और रिटर्निंग अधिकारियों से रिपोर्ट मिलने के बाद शिकायतों पर समीक्षा करने और हिंसा वाली जगहों पर फिर से चुनाव कराने का वादा किया। उन्होंने कहा कि मतदान के दौरान हिंसा की घटनाएं सबसे अधिक चार जिलों में हुई। चुनाव प्रक्रिया की समीक्षा करते समय इन सभी जिलों को ध्यान में रखा जाएगा। इन जिलों में पुनर्मतदान का फैसला रविवार 9 जुलाई को लिया जाएगा, जब सुपरवाइजर और रिटर्निंग अधिकारी मतदान प्रक्रिया की जांच और समीक्षा करेंगे।
सभी ने की चुनावी हिंसा में मौतों की निंदा
पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में शनिवार को हिंसा में करीब 10 लोगों से भी ज्यादा की जान चली गई। राज्य में विपक्षी भाजपा और सीपीआई (एम) ने एक सुर में आरोप लगाया कि राज्य चुनाव आयोग ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार केंद्रीय बलों को तैनात नहीं किया है। अगर केन्द्रीय बल की तैनाती हुई होती तो राज्य में इतनी हिंसा न हुई होती। इसके साथ ही सभी पार्टियों ने हिंसा से हुई मौतों की निंदा की है।
पिछले पंचायत चुनाव में क्या थी स्थिति
2018 में टीएमसी (TMC) ने 95% से अधिक ग्राम पंचायतें जीतीं। इनमें से 34% सीटें निर्विरोध थीं, जो बंगाल पंचायत चुनावों के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। तब भी विपक्ष ने आरोप लगाया था कि उन्हें नामांकन जमा करने की अनुमति नहीं दी गई। बड़े पैमाने पर हिंसा और चुनाव में धांधली के आरोपों को लेकर टीएमसी को आलोचना का सामना करना पड़ा था। पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे थे। अगले साल 2019 में लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदर्शन में काफी कमा आई, जिसमें भाजपा ने 18 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल दर्ज की थी। पश्चिम बंगाल में भाजपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन लोकसभा में ही दिखा है।
पंचायत चुनाव क्यों महत्वपूर्ण
2024 के लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha Elections) से पहले पंचायत चुनाव सभी राजनीतिक दलों बीजेपी, तृणमूल कांग्रेस, वाम और कांग्रेस गठबंधन के लिए एक लिटमस टेस्ट है। 2021 के विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा के उच्च-डेसीबल अभियान के बावजूद टीएमसी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने में सफल हो गई थी। हालांकि तब से सत्तारूढ़ दल पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
टीएमसी नेताओं को एसएससी घोटाला मामले और कोयला तस्करी और पशु तस्करी मामलों में गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई ने कथित नगर निगम भर्ती घोटाले की भी जांच शुरू कर दी है। कोयला चोरी मामले और एसएससी घोटाले को लेकर टीएमसी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी सीबीआई जांच के दायरे में हैं। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राजबंशी समुदाय ने कथित तौर पर बलात्कार की शिकार 17 वर्षीय लड़की की मौत के बाद अप्रैल में एक विरोध रैली निकाली। ऐसे में पंचायत चुनाव के नतीजे यह बताने में अहम संकेतक होंगे कि बंगाल में राजनीतिक हवा किस तरफ बह रही है।
हर चुनाव में हिंसा, फिर भी विकास में आगे
भले ही पश्चिम बंगाल में चुनाव के साथ ही हिंसा आती हो, लेकिन पश्चिम बंगाल विकास के मामले में पीछे नहीं है। पश्चिम बंगाल की जीडीपी वृद्धि महाराष्ट्र , राजस्थान , उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों से आगे है। कई व्यापक आर्थिक संकेतकों से पता चला है कि राज्य अन्य राज्यों की तुलना में खुद को ऊपर खींचने में सक्षम है।
केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5.66%, राजस्थान में 5.75%, उत्तर प्रदेश में 6%, तेलंगाना में 5.35%, कर्नाटक में 7.05% और पंजाब में 5.32%, पश्चिम बंगाल में 5.32% दर्ज की गई है जो अन्य राज्य की तुलना में ज्यादा है।
औद्योगिक विकास मामले में भी आगे
राज्य औद्योगिक विकास के मामले में भी आगे बढ़ा है। जहां कर्नाटक में 4.36%, महाराष्ट्र में 4.01%, पंजाब में 2.02%, राजस्थान में 3% और तमिलनाडु में 3.64% की वृद्धि दर रही, वहीं पश्चिम बंगाल में 5.05% की औद्योगिक विकास दर दर्ज की गई।
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