Haribhoomi Explainer: मेट्रो से कितनी अलग है रैपिड रेल, 2 रुपये में एक KM की होगी यात्रा

Haribhoomi Explainer: 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भागने वाली रैपिड रेल जल्द ही गाज़ियाबाद के साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक चलेगी। इस रैपिड रेल में यात्रियों को एकदम हवाई जहाज जैसी सुविधाएं मिलेंगी। पूरे रेलवे कॉरीडोर को तीन खंडों में बांटा गया है। पहला खंड 17 किलोमीटर लंबा है, जो साहिबाबाद से दुहाई डिपो के बीच चलेगी। आप इस रैपिड रेल यात्रा का लाभ केवल 2 रुपए प्रति किलोमीटर में उठा सकेंगे। हरिभूमि एक्सप्लेनर में आपको रैपिड रेल परियोजना से जुड़ी छोटी-बड़ी सभी जानकारियां साझा करेंगे।
रैपिड रेल
मेट्रो ट्रेन से 3 गुना तेजी से दौड़ने वाली रैपिड रेल के अपने अलग ही मजे हैं। इस रैपिड रेल की रफ्तार 180 किमी प्रति घंटा है। हालांकि अभी 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाएगा। इस ट्रेन में दिव्यांगों के लिए अलग से सीट्स लगाई गई हैं। मरीजों को ले जाने के लिए आखिरी डिब्बे में स्ट्रेचर की भी सुविधा उपलब्ध होगी। मीडिया से बातचीत के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के अनुसार इस रेल में लगभग 8 लाख यात्री प्रतिदिन यात्रा कर सकेंगे।
कब से शुरू होगी रैपिड रेल
भारत की सबसे पहली रैपिड रेल परियोजना, दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड सिस्टम का निर्माण काफी तेजी से चल रहा है। इसकी प्राथमिकता प्रथम खंड साहिबाबाद से दुहाई के बीच चलने की है, जिसकी दूरी 17 किमी है। इस पूरे कॉरीडोर को तीन खंडों में शुरू किया जाना है। सबसे पहले 17 किमी की दूरी वाले साहिबाबाद से दुहाई डिपो के बीच चलने की संभावना है। इसका दूसरा फेज साहिबाबाद से मेरठ तक होगा। अनुमानतः ये 2024 तक पूरा हो जाएगा। अंतिम फेज का काम 2025 तक शुरू हो जाने की उम्मीद है।
क्या है RRTS का उद्देश्य
वाहनों के यातायात और वायु प्रदूषण पर रोक लगाना, राष्ट्रीय राजधानी में भीड़भाड़ को कम करना और संतुलित क्षेत्रीय विकास को सुनिश्चित करना ही इस परियोजना का मकसद है। RRTS प्रोजेक्ट केंद्र तथा यूपी सरकार का संयुक्त उद्यम है, जिसकी लागत 30,274 करोड़ रुपये है।
मेट्रो से कितनी अलग है रैपिड रेल
- नियमित मेट्रो की औसत रफ्तार 40 से 50 किमी प्रति घंटा है। कुछ दिनों स्पीड टेस्ट लिया था ताकि मेट्रो 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड से चल सके। वहीं, रैपिड रेल की रफ्तार 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल पाएगी।
- मेट्रो से विपरीत रैपिड रेल सिस्टम तेज, लंबी और आरामदायक यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए बेहतर है। दूसरी तरफ, मेट्रो राजधानी दिल्ली और आसपास के शहरों को जोड़ रही है।
- RRTS में मुफ्त वाईफाई, सामान रखने की जगह, मोबाइल चार्जिंग की सुविधा, फोल्डेबल सीट्स, खड़े होकर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए अधिक स्पेस आदि सुविधाएं प्रदान करेगी।
- रैपिड रेल का शुल्क 2 रुपये प्रति किलोमीटर होगा।
- केवल एक घंटे में आप दिल्ली से मेरठ की दूरी तय कर सकेंगे।
भारत में कब शुरू हुई मेट्रो सुविधा
39 साल पहले भारत में सबसे पहली मेट्रो सेवा 24 अक्टूबर 1984 को कोलकाता में शुरू हुई। लेकिन, इस मेट्रो सेवा को शुरू होने में 12 साल लग गए थे। 1 जून 1972 को कोलकाता के इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई थी। साल के अंत में इसकी आधारशिला भी रखी गई। ये ट्रेन 3.4 किलोमीटर की दूरी तय करके एस्प्लेनेड से भवानीपुर (नेताजी भवन) तक चली।
DMRC है देश का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क
दिल्ली मेट्रो सबसे बड़ा मेट्रो रेल नेटवर्क बन गया है। इसका विस्तार नोएडा, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, बहादुरगढ़ और वल्लभगढ़ तक करीब 350 किलोमीटर तक फैला हुआ है। रोजाना तकरीबन 30 लाख लोग दिल्ली मेट्रो का उठाते हैं लाभ। जयपुर, इंदौर-भोपाल, हैदराबाद, चेन्नई और लखनऊ जैसे शहरों में भी मेट्रो का काम चल रहा है।
इन शहरों में चलती है मेट्रो
- कोलकाता
- दिल्ली
- बेंगलुरु
- मुंबई
- चेन्नई
- कोच्चि
- जयपुर
- लखनऊ
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