Haribhoomi Explainer: क्या है पॉक्सो एक्ट, जानिये यह कानून कैसे बच्चों को यौन शोषण से बचाता है

Haribhoomi Explainer: क्या है पॉक्सो एक्ट, जानिये यह कानून कैसे बच्चों को यौन शोषण से बचाता है
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Haribhoomi Explainer: दिल्ली पुलिस ने पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों को लेकर WFI प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत 2 एफआईआर दर्ज की। आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर में जानते हैं कि आखिर POCSO एक्ट क्या है और यह कैसे काम करता है।

Haribhoomi Explainer: पिछले कई दिनों से दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एक्शन लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज की। दोनों एफआईआर बृजभूषण सिंह के खिलाफ कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई है। पुलिस ने एक पॉक्सो एक्ट और दूसरी छेड़खानी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। दरअसल पहली FIR एक नाबालिग पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर है, जिसकी वजह से ये POCSO एक्ट से संबंधित है। वहीं दूसरी FIR वयस्क शिकायतकर्ताओं ने दर्ज कराई है, जिसमे व्यापक जांच करने की मांग की गई है। आइये आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर में जानते हैं कि आखिर POCSO एक्ट क्या है और यह कैसे काम करता है।

क्या होता है पॉक्सो एक्ट का फुल फॉर्म

POCSO का पूरा नाम प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस है। इसे हिंदी में यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा के नाम से जाना जाता है। पॉक्सो अधिनियम बच्चों को बाल यौन अपराधों, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी के प्रति संरक्षण देने के लिए बनाया गया एक एक्ट है, जिससे बच्चों के प्रति होने वाले यौन अपराधों को रोका जा सके।

कब बना पॉक्सो एक्ट

2012 में भारत सरकार द्वारा बनाया गया पॉक्सो एक्ट एक अधिनियम है, जिसके अंतर्गत बच्चों के प्रति होने वाले यौन-शोषण पर प्रभावी अंकुश लगाने एवं बच्चों को यौन-शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी के विरुद्ध संरक्षण के लिए प्रभावी प्रावधान किए गए हैं। पॉक्सो अधिनियम को भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2012 में अधिनियमित किया गया था। इसके अंतर्गत बाल यौन-शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी के विरुद्ध कार्यवाही के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत बाल यौन-शोषण का वर्गीकरण एवं आरोपितों को सजा के लिए कड़े प्रावधानों का वर्गीकरण किया गया है। इस प्रकार POCSO एक्ट बच्चों को बाल यौन-शोषण के विरुद्ध संरक्षण के लिए प्रभावी उपाय करता है।

यौन अपराध है क्या

बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों में बच्चों का यौन-शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी को शामिल किया गया है। POCSO एक्ट के तहत बच्चों के साथ अश्लील हरकत करना, बच्चों के शरीर को गलत इरादे से छूना या बच्चों के साथ गलत भावना से की गई सभी हरकतें इस एक्ट के तहत रेप की श्रेणी में रखी गई हैं। इन सभी अपराधों में कड़ी सजा का प्रावधान भी किया गया है।

पॉक्सो एक्ट के तहत सजा

पॉक्सो एक्ट 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रति यौन-अपराधों के प्रति बच्चों को संरक्षण प्रदान करने वाला एक एक्ट है । 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चो के प्रति सभी यौन-अपराध पॉक्सो अधिनियम के तहत आते हैं। पोक्सो एक्ट के तहत बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों को 2 श्रेणियों में बांटा गया गया है।

1. 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चो के प्रति यौन आरोप सिद्ध होने पर पोक्सो एक्ट के तहत दोषी को न्यूनतम 20 साल की सजा तय की गई है। इस सजा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

2. 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रति यौन आरोप सिद्ध होने पर दोषी के लिए न्यूनतम 20 वर्ष कारावास का प्रावधान है। इस सजा को बढ़ाकर फांसी में भी बदला जा सकता है।

3. 12 साल से कम उम्र की बच्ची से गैंगरेप का आरोप सिद्ध होने पर दोषियों को आजीवन कारावास या मौत की सजा तय है।

दो महीने में जांच पूरी करना जरूरी

पास्को एक्ट के तहत दर्ज केस की जांच दो महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए। इससे जुड़ी अपील और अन्य सुनवाई के लिए भी अधिकतम समय छह महीने तय किया गया है।

पॉक्सो एक्ट में जमानत कैसे?

2018 में हुए इस एक्ट के संशोधन में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिसमें जमानत के लिए भी कुछ नियम बनाए गए हैं।

1. POCSO एक्ट के अनुसार बलात्कार के मामले में अब अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती है। किसी भी हालत में दोषी को सरेंडर करना ही होगा। एक्ट के अनुसार दोषी का बचना नामुमकिन है।

2. POCSO एक्ट में बलात्कार केस के अलावा बाकी केस में अग्रिम जमानत मिल सकती है, लेकिन आरोपी को पुलिस कार्रवाई में सहयोग करना पड़ता है।

क्या POCSO एक्ट वापस लेना सम्भव ?

कर्नाटक उच्च न्यायालय एक मामले पर अपना फैसला सुनाते हुये कहा है कि नाबालिग के खिलाफ POCSO मामले को आपसी समझौता करने वाले पक्षों पर रद्द किया जा सकता है।

POCSO के तहत पहली बार किसी महिला को सजा

इंदौर जिला न्यायालय द्वारा पॉक्सो एक्ट में कार्रवाई करते हुए पहली बार किसी महिला को सजा सुनाई गई । आरोपी महिला द्वारा मासूम को घर से बहला फुसलाकर गुजरात ले जाया गया, जहां उससे मजदूरी कराने के साथ-साथ उसके साथ कई बार यौन शोषण भी किया गया। कोर्ट ने इस अधिनियम के तहत 2018 को फैसला सुनाते हुए आरोपित को दस साल की सश्रम सजा सुनाई थी।

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