Haribhoomi INH Exclusive: महाशिवरात्रि पर आध्यात्मिक गुरु पं. विजयशंकर मेहता जी से खास ई सार्थक संवाद प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने ई-सार्थक संवाद की शुरुआत में कहा कि आज हम खास मौके पर खास कार्यक्रम में चर्चा कर रहे हैं। आज महाशिवरात्रि है और भगवान शंकर का दिन है। शिवरात्रि को कई कारणों से बहुत ही अद्भुत माना गया है। पूरे वर्ष भर में 12 शिवरात्रि मानी जाती हैं। लेकिन इस शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इसी कारण से इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है।
दो प्रकार की मान्यताएं हैं। इसी के संदर्भ में एक दो नहीं तीन चार पांच जितने भी तरह की मान्यताएं हो सकती हैं। इसके साथ जुड़े हुए मिलती हैं। मान्यता यह भी है कि आज ही के दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था और दूसरा विचार यह है कि इस प्रकार की मान्यता के साथ के आज ही के दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ संपन्न हुआ था और तीसरी मान्यता है इस संदर्भ में। जब समुद्र मंथन हुआ था तो उस वक्त समुंद्र मंथन के तहत सबसे पहले जो विष निकला था। जिसका हलाहल जिसका नाम है। उसका पान भी आज ही के दिन भगवान शंकर के द्वारा किया गया था और और भगवान शंकर जब इस विष को धारण कर रहे थे। उस कष्ट से राहत देने के लिए तमाम देवताओं के द्वारा रात भर जाकर जो स्तुति की। उसे भी महाशिवरात्रि के साथ जोड़ा जाता है।
ऐसे तमाम प्रसंग, कथाएं और मान्यताएं हैं। आज के दिन के साथ जुड़ी हुई हैं और महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के साथ जो आदि देव शंकर का महत्व है। वह जुड़ा हुआ है। महाशिवरात्रि का मौका है और ऐसे पावन मौके पर हमारे साथ आज आचार्य पंडित विजय शंकर मेहता जी जुड़े हुए हैं और खास बात यह भी है कि उज्जैन से हमारे साथ जुड़े हुए हैं। जो महाकाल की भूमि है। इस विशेष कार्यक्रम को देखने के लिए आप नीचे दिए गए वीडियो पर क्लिक करके पूरा देख सकते हैं....
यहां देखें महाशिवरात्रि स्पेशल कार्यक्रम
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