Haribhoomi-Inh News: 'ताज' पर कितने ऐतराज ?, प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: ताज पर कितने ऐतराज ?, प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
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Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम एक बार फिर विवाद को लेकर बात कर रहे हैं। असल में पिछले कुछ दिनों से देश में मामूली विवाद से शुरू हो रही है। कोई दिन नहीं गुजरता है, जब कोई विवाद हमारी सुर्खियों में नहीं होता है।

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम एक बार फिर विवाद को लेकर बात कर रहे हैं। असल में पिछले कुछ दिनों से देश में मामूली विवाद से शुरू हो रही है। कोई दिन नहीं गुजरता है, जब कोई विवाद हमारी सुर्खियों में नहीं होता है।

ताजा तरीन मामला ताजमहल के संदर्भ में है। अभी ज्ञानवापी मस्जिद के संदर्भ में सर्वे को लेकर विवाद थमा नहीं है कि एक और विवाद की शुरुआत हमने कर दी है। चर्चा में तो यह पिछले कई दिनों से था। जब प्रमुख महाराज वहां जाना चाहते थे। वहां जाने कि उन्हें अनुमति नहीं मिली। उन्होंने फिर संकल्प लिया हुआ है कि वह मई में वहां पर जाने की तैयारी में हैं। इन सबके बीच में भारतीय जनता पार्टी के नेता रजनीश सिंह जी के द्वारा लखनऊ उच्च न्यायालय अंतर्गत एक याचिका दी और उसमें यह कहा गया है कि वहां पर 22 कमरे हैं, जिन्हें खोला जाए।

जिनके अंदर हिंदू देवी देवता देवताओं की मूर्तियां हैं और कुल मिलाकर और इसकी वास्तविकता को बताया जाए और लंबे समय से इसकी मांग हो रही है। जिसे हम ताजमहल समझते हैं जिसे दुनिया प्रेम का प्रतीक मानती है। दुनिया के अंदर कई लोग मानते हैं, देखने के लिए देश नहीं विदेश से लोग आते हैं। आगरा का रुख करते हैं उस के संदर्भ में 70 के दशक से एक अभियान चल रहा है। जो कभी तेज कभी धीमा होता है और वह इस संदर्भ में होता है कि जिसे आप एक मकबरे के तौर पर मत देखिए। इसे आप एक शिव मंदिर के तौर पर देखिए।

जिसे ताजमहल के रूप प्रस्तुत किया गया है। इसको लेकर एक इतिहास लिखा गया और इन सब के बीच में यह विवाद हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा है। आज हम इस कार्यक्रम में समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर ऐसे विवादों से हम क्या हासिल कर रहे हैं। क्या इसके माध्यम से हम अपने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वयं को सुर्खियों में लाने की कोशिश कर रहे हैं। जानने की कोशिश जारी करेंगे कि जिस ताजमहल को शाहजहां मुमताज के प्रेम के प्रतीक के तौर पर इतिहास के पन्नों में जगह दी गई। उन पन्नों को फाड़ने के देने से हम क्या हासिल करने वाले हैं। ताजमहल के संदर्भ में कई प्रकार के प्रमाण यही बोध कराते हैं कि यह इस्लामिक नमूना है और इस के संदर्भ में जुगाड़ करके हम यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यह मंदिर है. जो एक मकबरे के तौर पर दोनों की कब्र का स्थान बना हुआ है। अब उसे मंदिर के तौर पर मान्यता देकर आने वाले पीढ़ी को क्या बताना चाहते हैं... कई मेहमान हमारे साथ जुड़े हुए हैं...

Taj Mahal Controversy 'ताज' पर कितने ऐतराज ?

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