Haribhoomi-Inh News : प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने चक्रव्यूह में अभिमन्यु कार्यक्रम में कांग्रेस नेता मुकेश नायक पर चर्चा

Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कार्यक्रम में कांग्रेस के कद्दावर नेता मुकेश नायक को लेकर बातचीत की। अभिमन्यु' हैं… कांग्रेस के ऐसे कद्दावर नेता जो 1985 में महज 27 साल की उम्र में ही विधायक का रुतबा पा गया। जिसने कांग्रेस की तूती बोलने के दौरान छात्र संगठन और युवा संगठन को प्रदेश में नेतृत्व देने का गौरव हासिल किया।
अपनी विद्वता और चुंबकीय व्यक्तित्व से आसपास के परिवेश को जो सहज ही आलोकित कर लेता था। वह सितारा अचानक सूर्य बनने से पहले ही धुआं-धुआं सा क्यों नजर आने लगा! जिस शख्स ने अविभाजित मध्यप्रदेश के समय ही कैबिनेट में जगह बना ली थी। नब्बे के दशक में कांग्रेस की सियासत में सबसे चमकदार पारी खेलने वाला यह नेता राजनीति के पिच के मिजाज को समझने में गलती के कारण हिट विकेट हुआ या प्रतिद्वंदियों ने क्लीन बोल्ड कर दिया? सवल उस खिलाड़ी के भी जेहन में और हम जैसे तमाम दर्शकों के मन भी खलबलाता है।
आप समझ ही गए होंगे कि हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड की माटी में जन्में मुकेश नायक की… कभी मुख्यमंत्री का विकल्प माना जाने वाला और शाही अंदाज में सियासत करने वाला यह महायोद्धा आज ऐसे चक्रव्यूह में उलझ गया है कि अब उससे निकल पाना मुश्किल लग रहा है। आज हम उनकी शख्सियत को, सफलताओं को और विफलताओं को समझने की कोशिश करेंगे।
कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने भाजपा पूर्व मंत्री अजय विश्नोई, कांग्रेस पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अरुण अरुण दिक्षित, मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ अजय त्रिपाठी से कार्यक्रम में चर्चा की. .
चक्रव्यूह में अभिमन्यु मुकेश नायक
'चर्चा'
कौन है कांग्रेस नेता मुकेश नायक
भारतीय कांग्रेस पार्टी के नेता मुकेश नायक ने छात्र जीवन से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत थी और इसके बाद वह कांग्रेस के सदस्य बने। महज 27 साल की उम्र में ही पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चुने गए। कहा जाता है कि वह एक बहुत ही अच्छे क्रिकेटर भी हैं। वह 1978 में सागर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टीम के कप्तान थे।
उनका राजनीतिक सफर बहुत लंबा है। साल 2008 में मुकेश नायक ने पवई सीट से वापसी की। लेकिन भाजपा के बृजेंद्र प्रताप सिंह से हार गई l उसके बाद साल 2013 में 20 साल बाद सफलता मिली और फिर से विधायक चुने गए। बीच में उनके नाम की चर्चा भाजपा में शामिल होने को लेकर भी हुई थी।
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