Haribhoomi-Inh News: चक्रव्यूह में अभिमन्यु 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने चक्रव्यूह में अभिमन्यु बात की। प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि हमारे आज के अभिमन्यु मध्यप्रदेश की राजनीतिक के ऐसे किरदार हैं। जिन्होंने तकरीबन तीन दशक तक राजनीतिक प्रवेश को अपनी रिद्वता, प्रभावी भाषण कला और पार्टी की निष्ठा से अभीभूत कर रखा था.. और आपातकाल के बाद हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार चुना गया शख्स सदन में अपने धारा प्रभाव भाषण से हर एक को अपनी ओर आकर्षित कर लेता था।
जैसे-जैसे समय गुजरता गया वैसे-वैस इनका कद भी बढ़ता गया। 1990 में सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार मध्यप्रेदश में बनी। तो कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी इन्ही के कंधों पर आई। काम कितना बेहर किया इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब वर्ष 1993 में पार्टी विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई तो सुंदर लाल पटवा, कैलाश जोशी, बाबू लाल गौर जैसे तमामत दिग्गजों की दावेदारी को खारिज करते हुए पार्टी ने विपक्ष नेता का दायित्व इस युवा को सौंपा। हम बात कर रहे हैं भारतीय जनता पार्टी का चमकता सितारा रहे विक्रम वर्मा की।
सदन में जब विक्रम जब बोलते थे तो समय जैसे ठहर सा जाता था। प्रदर्शन इस कदर बेहतरीन था कि सभी ने सहता से मान लिया कि अगले चुनाव में सरकार भाजपा की और मुख्यमंत्री विक्रम को हो होना है। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं, 1998 के चुनाव में भाजपा प्रदेश में और विक्रम वर्मा अपने क्षेत्र में चुनाव हार गए। पार्टी ने तब भी साथ नहीं छोड़ा। कुसाभाउ ठाकरे का व्यक्तिगत संरक्षण मिला और हार के एवज में कार्यकारी अध्यक्ष का पद भी उनके हिस्से में आया। दो साल बाद शिवराज सिंह के खिलाफ चुनाव लड़कर प्रदेश अध्यक्ष बने और राज्यसभा में भी पहुंचाए गए। विक्रम वर्मा का सियासी सफर लगातार बढ़ रहा था। विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी राज्य सभा मिलने के बाद व अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कल्याण मंत्री बने।
चक्रव्यूह में अभिमन्यु पूरी चर्चा यहां देखें
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