Haribhoomi-Inh News: महापंचायत में 'सैलाब', किसे मिलेगा जवाब ? 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि चर्चा में हाथ का हमारा विषय वह है जो पिछले 9 महीने से सरकार के सामने सवाल बनकर खड़ा हुआ है। महापंचायत में 'सैलाब' किसे मिलेगा जवाब। संदर्भ यही है कि जो अपनी स्थापना के बाद से दिल्ली की सीमा पर बीते 9 महीने से ज्यादा समय व्यतीत कर चुका है। लेकिन अभी तक किसी मुकाम पर या कोई हल नहीं निकला है।
देश की सरकार इस किसान आंदोलन को खारिज कर रही है। सरकार का मानना है कि किसानों के हित में लिया गया। कुछ लोग साजिश कर रहे हैं। सरकार ने इस पूरे मामले को एक प्रोपेगेंडा बताया है। दिल्ली की सीमा पर बैठे हुए लोग, जो अपने आप को किसान बताते हैं। किसानों का नेतृत्व करने का दावा करते हैं। उनका मानना है 3 किसान कानून इस देश में किसानों को बर्बादी की तरफ पहुंचाने के लिए उठाया गया कदम है।
जब तक कानून खत्म नहीं होंगे, तब तक हम अपने घर की तरह वापस नहीं जाएंगे। देशभर में जन समर्थन के लिए अब महापंचायतों के जरिए आयोजनों का सिलसिला शुरू हुआ है। रविवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत में जनसैलाब उमड़ पड़ा था। ऐसे में जो का इतना बड़ा जनसैलाब किसी भी सरकार की तरफ से एक बड़ा इशारा करता है। लेकिन केंद्र या उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है। ऐसी महापंचायत का आयोजन कैसे कामयाबी हो, समझने कोशिश करेंगे कि क्या महापंचायतों के आयोजन से किसानों की लड़ाई किसी मुकाम तक पहुंचेगी या फिर कुछ राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यह आंदोलन माध्यम बन गया है। इस चर्चा का हिस्सा बनने के लिए तमाम लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं, जो अपनी-अपनी राय इस कार्यक्रम के माध्यम से रखेंगे...
इस दौरान कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार, सीपीएम नेता बादल सरोज, भाकियू अध्यक्ष राजबीर जारौन, बीजेपी वरिष्ठ नेता कुश पुरी से बातचीत की।
महापंचायत में 'सैलाब', किसे मिलेगा जवाब ?
'चर्चा'
दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत हुई और आज मंगलवार को हरियाणा के करनाल में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। इसके बाद बड़ी संख्या में किसानों ने राकेश टिकैत के नेतृत्व में मिनी सचिवालय की ओर मार्च किया। करनाल में 28 अगस्त को हुए लाठीचार्ज से किसान नाराज हैं। उन्होंने लाठीचार्ज के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और पीड़ित किसानों को मुआवजा देने की मांग की। किसान मार्च के दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। बढ़ती भीड़ को देख प्रशासन ने राकेश टिकैत को बस में बिठाया लेकिन बाद में वह फिर किसानों के बीच पहुंच गए।
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