Haribhoomi-Inh News: 'चक्रव्यूह में अभिमन्यु' बीजेपी नेता संजय सत्येंद्र पाठक, 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: चक्रव्यूह में अभिमन्यु बीजेपी नेता संजय सत्येंद्र पाठक, चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
X
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा चक्रव्यूह में अभिमन्यु....

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा चक्रव्यूह में अभिमन्यु.... एक ऐसी शख्सियत है जिसकी पहचान परिवार के तौर पर कट्टर कांग्रेसी के तौर पर जाने जाती है। जिले की राजनीति में कोई ऐसा पद नहीं रहा, जो उनके हिस्से में नहीं आया। इनके पिता न केवल विधायक रहे, न केवल मंत्री रहे बल्कि इलाके कद्दावर नेता रहे। अगर इनकी माता जी के संदर्भ में बात करें तो वह भी शहर की मेयर रही।

और खुद के संदर्भ में बात करें तो संगठन के अंतर्गत कौन सा ऐसा पद था जो इनके हिस्से में नहीं आया। बाद में अपने पिता की सीट से विधायक बनने का मौका मिला लेकिन कुछ ग्रह नक्षत्र बदले, कुछ जिले की परिस्थितियां बदली, यह शख्स पीढ़ियों से कांग्रेसी था। लेकिन वह कांग्रेस का हिस्सा नहीं रहा। नई शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के साथ की। भारतीय जनता पार्टी में जब इस नेता ने कदम रखें, तो सामने कालीन बिछा हुआ था। कालीन पर चलें मंत्री बने, लेकिन भाग्य चक्र कुछ ऐसा चला कि इतना सुनहरा सफर अचानक कांटे में तब्दील हो गया।

कल के सम्मानीय मंत्री महज आज एक मामूली विधायक बनकर चिमटा दिए गए हैं। अंचल की राजनीति में न केवल उनकी पहचान एक कद्दावर नेता की है। बल्कि बड़े व्यापारी के तौर पर भी है। पर अब नेता के स्थान पर शायद व्यापारी तमका ज्यादा हावी हो गया है। व्यवहार के स्तर पर लोगों की उनसे शिकायत नहीं है। लेकिन पार्टी के भीतर इनके संभावित कद को लेकर जरूर है। जिसका खामियाजा इनको वर्तमान ही नहीं भविष्य की संभावनाओं को लेकर चुकाना पड़ रहा है। दरअसल... हम बात कर रहे हैं भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता संजय पाठक की।

संजय पाठक किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद भी आज की तारीख में राजनीतिक हैसियत के मोहताज जरूर है। क्या कुछ ऐसे कारण हैं, जिसके चलते संजय पाठक का अतीत जितना उजला है, उतना सुनहरा दिखाई नहीं दे रहा है। वर्तमान पर संशय के बादल हैं, उनके कारण क्या हैं, उसकी विवेचना करने की कोशिश आज हम अपने कार्यक्रम में करेंगे। चार खास मेहमान हमारे इस कार्यक्रम में हिस्सा बनने के लिए हमारे साथ मौजूद हैं....

यहां देखें पूरा कार्यक्रम

Tags

Next Story