Haribhoomi-Inh News: अशोक स्तंभ 'गरिमा' को ठेस या सियासी द्वेष?, चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम एक खास विषय पर बातचीत कर रहे हैं, जो इस वक्त विवाद का विषय बना हुआ है। विवाद का विषय है अशोक स्तंभ 'गरिमा' को ठेस या सियासी द्वेष?
संदर्भ... यह है कि सोमवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा निर्माणाधीन संसद भवन के शीर्ष पर लगने वाले अशोक स्तंभ का अनावरण किया। ब्रॉन्ज का बनाया अशोक स्तंभ तकरीबन साढे 6 मीटर ऊंचा बताया गया है। साढ़े 900 किलो वजन है। एक भव्य कलाकृति का नमूना प्रस्तुत किया गया है। देश के प्रधानमंत्री ने बाकायदा पूजा अर्चना के माध्यम से इसका अनावरण किया। लेकिन इस अनावरण के साथ ही विवाद खड़ा हो गया।
सबसे पहले कि इस बात को लेकर है कि प्रधानमंत्री होते कौन हैं संसद भवन में होने वाले इस कार्यक्रम को अंजाम देने वाले, संसद भवन का अधिकार लोकसभा अध्यक्ष का है। यह प्रधानमंत्री ने किया क्या है। आवाज उठाई जा रही है। दूसरी आवाज पूजा अर्चना शोभा नहीं देती और विपक्ष के तमाम नेताओं ने एक के बाद एक जो देश का राष्ट्रीय प्रतीक है, देश ने जिसको 26 जनवरी 1950 को अंगीकृत किया था। जब संविधान लागू हुआ था। उस समय जो राष्ट्रपति प्रतीक था अब उसे बदल दिया गया है।
सारनाथ अशोक स्तंभ को प्राप्त किया गया था। उसमें जो मुख्य आकृति चतुर्मुखा जिसे कहा जाता है। आकृति के रूप में परिवर्तन कर दिया गया है। कहा गया कि अशोक के द्वारा जो सारनाथ में निर्माण कराया गया था। उसमें सिंह थे, वीर मुद्रा में थे, शांत मुद्रा में थे। लेकिन अब की प्रतिमा लगाई गई है। जिस प्रकार का वह स्वरूप आया है उसमें उग्रता आती है, आदमखोर स्वभाव है, तो कुल मिलाकर यह बताने की कोशिश की गई कि वर्तमान में जो सरकार है उसने अपने मनोविकृति अपनी मनोदशा को इस राष्ट्र के नए प्रतीक के माध्यम से जताने की कोशिश की है। इस महत्वपूर्ण विषय में हमारे साथ कई खास मेहमान हमारे साथ जुड़े हुए हैं...
अशोक स्तंभ 'गरिमा' को ठेस या सियासी द्वेष?
'चर्चा'
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