Haribhoomi-Inh News: नई इबारत 'विपक्ष मुक्त भारत', चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, नई इबारत 'विपक्ष मुक्त भारत' ! जिसका संदर्भ है... लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका को नजरअंदाज नहीं कर सकते। केवल सरकार बना लेना ही अंतिम मकसद नहीं है। आठ से ज्यादा राज्यों में भाजपा, किसी तरीके से सत्ता परिवर्तन करा देती है और विपक्ष कुछ नहीं कर पाता।
ऐसे में माना जा रहा है कि गोवा कांग्रेस में टूट की औपचारिक घोषणा ही बाकी है, तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इससे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना दो हिस्सों में बंट चुकी है, मजे की बात है कि एकनाथ शिंदे का बगावती गुट ही सरकार में आ गया। महाराष्ट्र की नई सरकार में बीजेपी भी शामिल है, बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि गोवा हो या महाराष्ट्र, दोनों ही राज्यों में विपक्षी दलों में फूट के बड़े कारणों में एक बीजेपी भी है। अब तो यह कहा जाने लगा है कि बीजेपी की नजर उन सभी राज्यों पर है। जहां उसे क्षेत्रीय दलों से कड़ी चुनौती मिलती है, सबसे ताकतवर पार्टी महाराष्ट्र की शिवसेना में फूट के बाद से दूसरे क्षेत्रीय दलों में बगावत का संभवना तलाश रही है।
पार्टी हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी गोवा जैसा गुल खिलाने के चक्कर में है। अब सवाल है कि कांग्रेस की वापसी होगी या भाजपा रणनीति के तहत क्षेत्रीय दलों के अंदर एकनाथ शिंदे जैसी शक्तियों को तलाश कर लेगी इसी पर देखिए। इस महत्वपूर्ण विषय में हमारे साथ कई खास मेहमान हमारे साथ जुड़े हुए हैं...
नई इबारत 'विपक्ष मुक्त भारत'
'चर्चा'
पीएम मोदी ने दिया था कांग्रेस मुक्त भारत का नारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल 10 फरवरी को गोवा में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। तब मोदी को अपना पुराना भाषण याद आया जिसमें उन्होंने पहली बार 'कांग्रेस मुक्त भारत' का नारा दिया था। उन्होंने कहा कि गोवा की धरती पर अचानक उनके मुंह से कांग्रेस मुक्त भारत का नारा निकला और आज यह नारा देश के करोड़ों नागरिकों का संकल्प बन गया है। आज हालत यह है कि केवल दो राज्यों- राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की अपनी सरकारें हैं। इसके अलावा वह झारखंड सरकार में भी शामिल हैं। महाविकास महाराष्ट्र में शिवसेना और राकांपा के साथ अघाड़ी सरकार में शामिल थे, जिसका शिवसेना में विभाजन के साथ सफाया हो गया है। गोवा और उत्तराखंड में कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं।
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