Haribhoomi-Inh News: कोर्ट ना कचहरी, 'बुलडोजर' ही प्रहरी?, 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज का हमारा विषय सीधा सपाट है। कोर्ट ना कचहरी, 'बुलडोजर' ही प्रहरी? संदर्भ यह है कि देश में एक नई राजनीति संस्कृति आकार ले रही है। पिछले कुछ समय से इस संस्कृति के माध्यम से जनता को लुभाने और अपने आप को साबित करने की होड़ लगी हुई है। यह सिलसिला किस संदर्भ में है....
इसको लेकर बात करें तो बुलडोजर का इतिहास बहुत पुराना है। बुलडोजर के संदर्भ में अमेरिका से लेकर हिंदुस्तान तक एक लंबा सफर तय किया है। बुलडोजर शब्द मध्य प्रदेश की सियासत में तब प्रभावी हुआ जब 90 के दशक में सुंदरलाल पटवा की सरकार अस्तित्व में आई थी। उस सरकार में एक नगरीय प्रशासन मंत्री थे। नाम था उनका बाबूलाल गौर। उन्होंने मध्य प्रदेश की और खासकर भोपाल में बड़े पैमाने अतिक्रमण के खिलाफ मुहिम चलाई। अकेले भोपाल में उस दौरान 60 हजार से ज्यादा मकानों को तोड़ा गया था। जिनके घर नक्शे के विपरीत थे, सरकारी जमीन पर थे, उसमें यह नहीं देखा गया था कि यह मकान किसी राधेश्याम का है या फिर अब्दुल हमीद का है। कुल मिलाकर डोरी खींचा जाता था। लकीर खींच कर और जिसने भी कानून का उल्लंघन किया। उस के संदर्भ में नोटिस देकर कार्रवाई कर दी जाती थी।
नतीजा यह रहा कि बाबूलाल गौर जो बाद में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बुलडोजर मंत्री के नाम से नवाजा गया। जनता ने उनकी कोशिशों को सिर आंखों पर लिया और जब चुनाव हुए तो बाबूलाल उस दौरान 60,000 से ज्यादा मतों से रिकॉर्ड जीत हासिल की। विधानसभा चुनाव में जितने मकान तोड़े उसकी भरपाई जनता ने इतने ही वोटों से की थी। लेकिन ये संदर्भ दूसरा है। यह है कि उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक होड़ लगी है कि कौन कितना दमखम वाला मुख्यमंत्री या सरकार अपने आप को साबित कर सके।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर बाबा के नाम से नवाजा गया। एमपी में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बुलडोजर अपने आप को जाहिर कर रही है। जहां कहीं भी कोई अपराध घटित होता है, तुरंत बुलडोजर पहुंच रहा है और जिसके ऊपर आरोप है उसके उसके घर को जमींदोज किया जा रहा है। कानून का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई हो रही है। चाहे वह इंदौर का मामला हो और रीवा का मामला हो लेकिन लेकिन ताजा मामला खरगोन का है। खरगोन में रामनवमी के दिन जुलूस पर हमला हुआ। उसके बाद बड़े पैमाने पर मकान तोड़े जा रहे हैं। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर इन मकानों को तोड़ कर साबित किया किया जा रहा है। आज इसी मुद्दे पर हम बातचीत करेंगे कई मेहमान हमारे साथ जुड़े हुए हैं....
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'चर्चा'
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