Haribhoomi-Inh News: कांग्रेस 'आस' की डोर प्रशांत किशोर?, 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: कांग्रेस आस की डोर प्रशांत किशोर?, चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
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Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम हमारा विषय दो चीजों पर केंद्रित है... एक संगठन पर, दूसरा व्यक्ति पर। संगठन के तौर पर कांग्रेस और व्यक्ति के तौर पर प्रशांत किशोर। हमारा विषय है कांग्रेस 'आस' की डोर प्रशांत किशोर?

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम हमारा विषय दो चीजों पर केंद्रित है... एक संगठन पर, दूसरा व्यक्ति पर। संगठन के तौर पर कांग्रेस और व्यक्ति के तौर पर प्रशांत किशोर। हमारा विषय है कांग्रेस 'आस' की डोर प्रशांत किशोर?

दरअसल, जब वर्ष 2014 के आम चुनाव हुए अर्थात लोकसभा के चुनाव हुए, तो देश चमत्कारी प्रभाव से प्रभावित हुआ। पहले नरेंद्र मोदी, दूसरे अमित शाह और तीसरे प्रशांत किशोर। नरेंद्र मोदी के रूप में एक ऐसे शख्स देखने को मिला। जिसने अपने चमत्कारी नेतृत्व क्षमता के बूते पूरे देश को प्रभावित किया। लोग अचंभित रह गए क्योंकि तीन दशक के बाद किसी एक पार्टी के बूते पर स्पष्ट बहुमत मिला। दूसरा चमत्कार अमित शाह के तौर पर सामने आया। जिन्हें एक रणनीतिकार के तौर पर, एक दमदार पार्टी अध्यक्ष के तौर पर देखने का मौका मिला और तीसरा पर्दे के पीछे लेकिन उसकी सफलता ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। नाम है उनका प्रशांत किशोर।

प्रशांत किशोर के रूप में एक नई शख्सियत से लोगों को पता चला कि चुनाव अब किस किस तरीके से भी जीते जा सकते हैं। चुनाव के लिए बकायदा बाहरी लोग रणनीति बनाते हैं और रणनीति के माध्यम से चुनाव को इस कदर प्रभावित किया जाता है। उसके बाद भाजपा के साथ प्रशांत किशोर ज्यादा लंबे समय तक नहीं रहे। बल्कि भाजपा विरोधियों के साथ हमकदम हो गए, चाहे वह नीतीश कुमार हो... ममता बनर्जी हो... अरविंद केजरीवाल हो... कैप्टन अमरिंदर सिंह कुल मिलाकर कदम दर कदम प्रशांत किशोर कई संस्थानों के साथ नजर आए।

नतीजा यह हुआ कि अब भाजपा का मुख्य विपक्षी चेहरा बनी हुई कांग्रेस ने भी प्रशांत किशोर को शामिल किया, अपने साथ रणनीति के तौर पर और उत्तर प्रदेश के संदर्भ में खाट पर चर्चा, चाय पर चर्चा, जवाब में खाट का सिलसिला शुरू हुआ। लेकिन तब प्रशांत किशोर कोई कमाल नहीं कर पाए। कांग्रेस में एक तरह से बेहाल है। आखिर इस पार्टी को क्या हो गया है, जिसके पास कई दशकों का इतिहास है। 137 साल की इतिहास वाली पार्टी 50 सीटों पर आज सिमट कर रह गई है। लेकिन पार्टी अभी उठना चाहती है....इस विषय पर आज हम बात करेंगे.... कई मेहमान हमारे साथ जुड़े हुए हैं, जिनसे इस मुद्दे पर जानना चाहेंगे कि कैसे उभरी कांग्रेस

कांग्रेस 'आस' की डोर प्रशांत किशोर?

'चर्चा'



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