Haribhoomi-Inh News: जिरह खत्म, 'जिद' बाकी । 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

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Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, आज हम उस विषय पर बात करने जा रहे हैं, जिसने अपने उम्र का 1 साल से ज्यादा समय पूरा किया है।

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, आज हम उस विषय पर बात करने जा रहे हैं, जिसने अपने उम्र का 1 साल से ज्यादा समय पूरा किया है और सफलता के साथ अंजाम तक पहुंच गया है। हम बात कर रहे हैं किसान आंदोलन की। किसान आंदोलन को पूरा 1 साल हो चुका है। जो भारत सरकार के द्वारा तीन कृषि कानून के संदर्भ में था। एक बड़े वर्ग का यह मानना था कि भारत सरकार जो कृषि सुधार के नाम पर कानूनों को लेकर आई है, उसके चलते आने वाले समय में किसान और किसानी दोनों बर्बाद हो जाएंगे।

26 नवंबर को बीते साल दिल्ली की दहलीज पर पहुंचा था किसान आंदोलन। 1 साल तक किसान और सरकार दोनों की बातचीत चली, जो नए नए दौर में यह आंदोलन आगे बढ़ता गया। लेकिन कुछ दिन पहले गुरु नानक जयंती यानी गुरु पर्व पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश के माध्यम से ऐलान किया कि सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। तमाम कृषि संगठनों ने प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत किया। लेकिन साथ ही साथ उन्होंने यह कहा कि पता नहीं सरकार इस कानून को वापस करेगी कि नहीं करेगी।

प्रधानमंत्री ने आग्रह किया था कि हम संसद में कानून वापसी बिल को पेश करें और वापस लिया जाएगा और साथ ही अपील की थी कि अब किसान भाई वापस अपने अपने खेतों में और अपने अपने घर वापस चले जाएं। लेकिन किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि जब तक संसद से यह कानून वापस नहीं होगा। तब तक वापसी का सवाल पैदा नहीं होता है और केवल इसी कानूनों की वापसी ही नहीं एमएसपी समेत अन्य मामलों पर भी बातचीत करनी जरूरी है। उसके बाद ही वहां से वापस जाएंगे।

इसलिए आज का हमारा विषय है, जिरह खत्म, 'जिद' बाकी भारत सरकार ने तीन किसी कानूनों को आखिरकार संसद में पेश कर इसे पूर्ण रूप से वापस ले लिया है। अभी किसानों के बीच बातचीत का दौर जारी है। अब ऐसे में समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर मुख्य मांग मानने के बाद भी किसान क्यों डटे हुए हैं। जबकि कई किसान संगठनों ने वापसी का ऐलान कर दिया है, वहीं किसान मोर्चा ने 4 तारीख को अहम बैठक बुलाई, तो वह 1 दिसंबर को भी बैठक होगी।

जिरह खत्म, 'जिद' बाकी ।

'चर्चा'

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