Haribhoomi-Inh News: 'पंथ निरपेक्ष' की राह 'हिंदू राष्ट्र' की चाह?, 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: पंथ निरपेक्ष की राह हिंदू राष्ट्र की चाह?, चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
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Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम बेहद खास संवेदनशील विषय पर बातचीत करने जा रहे हैं। इतना संवेदनशील विषय है कि उस पर बात करना बेहद जरूरी है। क्या वह हमारा आज का विषय है। 'पंथ निरपेक्ष' की राह 'हिंदू राष्ट्र' की चाह?...

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम बेहद खास संवेदनशील विषय पर बातचीत करने जा रहे हैं। इतना संवेदनशील विषय है कि उस पर बात करना बेहद जरूरी है। क्या वह हमारा आज का विषय है। 'पंथ निरपेक्ष' की राह 'हिंदू राष्ट्र' की चाह?...

संदर्भ इसका यह है कि कल इस देश के आराध्य पुरुष भगवान राम का जन्मदिन था। भगवान राम के जन्म पर उनके यश के संदर्भ में, उनके कृतित्व के संदर्भ में, उनके विचार के संदर्भ में, उनके जीवन के अनुसरण के संबंध में, देश में बात होनी चाहिए थी। लेकिन हुआ क्या खबरें आई कि इस देश के 6 राज्यों में बवाल हुआ। शोभायात्रा निकली। शोभा यात्रा पर पथराव हुआ। कई जगह बम चले, कई जगह गोलियां चली, मध्य प्रदेश जहां पर भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड बहुमत की सरकार है। वहां पर एसपी तक को गोली लग गई।

जहां दूसरी तरफ सत्ता से बाहर कई राज्यों में भाजपा की सरकार है वहां पर भी उपद्रव हुए, जहां गैर भाजपा की सरकारें हैं चाहे झारखंड के संदर्भ में हो या पश्चिम बंगाल के संदर्भ में हो, वहां पर भी उपद्रव हो गए कुल मिलाकर भगवान राम की जयंती हम शांतिपूर्ण तरीके से नहीं मना सके। बाकी जगहों को छोड़कर देश की राजधानी दिल्ली और दिल्ली का उत्कृष्ट संस्थान जैसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कहते हैं। वहां पर भी विवाद हो गया।

विवाद इस कदर उठा की हॉस्टल में रामनवमी के मौके पर मांस खा सकेंगे कि नहीं । इसको लेकर दो पक्षों के छात्रों का दो समूह आपस में मिल गया और यहां तक कि एक दूसरे के सिर भी फोड़ दिए। तो कुल मिलाकर जिस प्रकार का दृश्य कल बना। और उससे पहले की घटनाओं पर बात करें, तो पिछले कुछ समय से हिजाब को लेकर, अजान को लेकर, हलाल को लेकर बात हो रही है... कौन यहां पर सम्मान के साथ रह सकता है कौन सम्मान के साथ नहीं रह सकता है। इन सभी बातों पर बात हो रही है और ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस देश के संदर्भ में कई जातियों के तौर पर या कुछ शब्दों में 'पंथ निरपेक्ष' की राह 'हिंदू राष्ट्र' की चाह है, क्या इस वाक्य इस पंथ निरपेक्ष राष्ट्र की राह पर हम चल रहे हैं, क्या इस देश में एक बड़ा वर्ग ऐसा मानता है कि इस देश की 80 फीसदी आबादी हिंदू है, तो इस देश को हिंदू राष्ट्रीय क्यों नहीं घोषित किया जाता है, तो आज हम इसी विषय में बात कर रहे हैं। हमारे साथ कई मेहमान जुड़े हुए हैं......

'पंथ निरपेक्ष' की राह 'हिंदू राष्ट्र' की चाह?

'चर्चा'

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