Haribhoomi-Inh News: छिनती 'सेना' गिरती सरकार!, चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम एक बार फिर से उसी विषय पर बात कर रहे हैं। जिस पर हमने कल भी बात की थी। जब विषय का समाधान नहीं निकला इसलिए बातचीत के लिए किसी और विषय का चयन करना उचित भी नहीं समझा गया।
हमारा आज का विषय है छिनती 'सेना' गिरती सरकार!, मामले को थोड़ा विस्तार देते हुए... संदर्भ यह है कि महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर खतरा कल से ही था। लेकिन जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां आगे बढ़ रहे हैं। वह खतरा सरकार के संदर्भ में नहीं है, केवल मुख्यमंत्री के संदर्भ में नहीं है, बल्कि अब जो खतरा दिखाई दे रहा है। बाल ठाकरे के द्वारा बनाई गई शिवसेना को लेकर है।
क्या अब उद्धव ठाकरे के हाथों में रह पाएगी शिवसेना या उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ शिवसेना के अध्यक्ष पद भी छोड़ना पड़ेगा। छोड़ना पड़ेगा क्या शिवसेना से उनको बाहर ही जाने की नौबत तो नहीं आ जाएगी। घटनाक्रम कुछ इस तरह से बन रहे हैं। जिसमें उद्धव ठाकरे अकेले असहाय से अपने ही पार्टी मैं अकेले खड़े दिखाई दे रहे हैं। उनके साथ एनसीपी है और कांग्रेस है। शरद पवार हैं लेकिन उनकी अपनी पार्टी, उनके अपने शिवसैनिक उनके साथ में नहीं हैं। आज उद्धव ठाकरे ने पहले बताया कि उनको कोरोना हो गया है। कोरोना के चलते वह अन्य नेताओं के साथ मुलाकात नहीं कर पा रहे हैं। कमलनाथ कांग्रेस के बड़े चेहरे हैं और इस संकट के समाधान के लिए पार्टी ने उन्हें महाराष्ट्र भेजा है। उन्होंने इसी कारण से उद्धव ठाकरे से मुलाकात नहीं की। लेकिन बाद में बताया गया कि उद्धव ठाकरे शरद पवार से बात कर ली। पॉजिटिव और नेगेटिव की खबरे भी आईं।
लेकिन इन सबके बीच में महत्वपूर्ण बात जो हुई वह यह थी कि उद्धव ठाकरे ने आज ऐलान करते हुए राज्य की जनता से संवाद किया। बाला साहब ठाकरे के काबिल बेटे समझे जाने वाले जाने वाले उद्धव ठाकरे फेसबुक के माध्यम से सामने आए। लेकिन वह शेर की दहाड़, वह दिल दहला देना और कहीं ना कहीं वह कम था। कोई बिल्ली मिसमिसा रही हो। उद्धव ठाकरे ने बड़ा ही निराशाजनक तरीके से अपना बयान दिया। अब ऐसे में क्या इस जंग को उद्धव ठाकरे की हार के तौर पर समझा जाए या उन्होंने अपनी हार मान ली है। सब कुछ छोड़ दूंगा। लेकिन छोड़ते भी नहीं। यह बड़ी ही अजीबोगरीब स्थिति है और ऐसे ही इसी बीच में बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम बदल रहे हैं। इसी पर हम ताजा जानकारी के लिए कई मेहमानों के साथ चर्चा कर रहे हैं...
छिनती 'सेना' गिरती सरकार!
'चर्चा'
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