Haribhoomi-Inh News: 'चर्चा' में देखिए दो विषयों पर संवाद!, प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम दो विषय पर बात करने वाले हैं। पहला सियासी और दूसरा सामाजिक। सियासी स्तर पर हमारी पहली पहला विषय है अब PK की बारी, सियासी पारी ! संदर्भ यह है कि दरअसल साल 2014 में दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। एक तो नरेंद्र मोदी के रूप में देश को एक ऐसा नेता मिला, जिसमें 3 दशक के बाद स्पष्ट बहुमत की सरकार देश में काबिज कर दी और दूसरा नीतिकार प्रशांत किशोर के रूप में। जिसके विषय में यह माना गया कि नरेंद्र मोदी अगर कोई करिश्मा दिखा पाए, अपनी काबिलियत, अपनी क्षमता, अपनी पार्टी के संगठन, पार्टी के समर्थन, लेकिन एक महत्वपूर्ण कार्य था प्रशांत किशोर के द्वारा, जिस प्रकार की रणनीति बनाई गई। उसके चलते यह सफलता हासिल हुई।
प्रशांत किशोर साल दर साल पार्टियां बदलते रहे। प्रोफेशनल तरीके से काम करते रहे, सफलता की नई नई कहानियां लिखते रहे और बीच-बीच में खुद की सियासी सफलता की कोशिशें भी की। बीजेपी ने पहली सफलता के बाद उनसे मुंह मोड़ लिया। इसके बाद वह बिहार पहुंचे नीतीश कुमार के साथ उन्होंने काम किया। लेकिन बात वहां पर नहीं बन पाई। ममता बनर्जी के साथ अरविंद केजरीवाल के साथ और न जाने कितने नेताओं के साथ वह जोड़े लेकिन तमाम राजनीतिक दलों को फायदा हुआ तमाम राजनेताओं का फायदा हुआ। देखा जाए तो प्रशांत किशोर को भी फायदा हुआ। लेकिन प्रशांत किशोर को वह सियासी उपलब्धि नहीं मिलीं। जिसकी वह कामना के लिए तलबगार थे। कांग्रेस में उन्होंने दो बार इसके लिए कोशिश की, लेकिन दूसरी कोशिश नाकामयाब रही.... आज हम इसी विषय पर चर्चा कर रहे हैं....
अब PK की बारी, सियासी पारी !
'चर्चा'
और अब हम बात करें कोविड के टीकाकरण के संदर्भ में, दूसरा विषय है वैक्सीनेशन : अब मर्जी की बात है? देश इस बात को लेकर राहत की सांस ले रहा है कि तीसरी लहर के दौरान देश को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। जानमाल का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। पीएम मोदी ने भी कहा कि टीकाकरण की वजह से ही हम तीसरी लहर में सुरक्षित रह पाए। चौथी लहर की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। इन सभी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टीकाकरण अभियान ठीक है लेकिन भारतीय संविधान के तहत आप किसी को वैक्सीन के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं... इसी विषय पर हम बात कर रहे हैं।
वैक्सीनेशन : अब मर्जी की बात है?
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