Haribhoomi-Inh News: बर्बादी की जंग, सुलह की दरकार!, 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, इस वक्त दुनिया जिस दौर से गुजर रही है उस वक्त स्वागत करने के संदर्भ में शब्द भी कमजोर नजर आते हैं। संदर्भ बहुत स्पष्ट है। हमारे आज के विषय पर यूक्रेन रूस बर्बादी की जंग, सुलह की दरकार!। इस पर हम बात करेंगे।
तमाम राजनीतिक पर्यवेक्षकों और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के विश्लेषकों के अनुमान धरे के धरे रह गए। कई एक्सपर्ट्स बता रहे थे कि रूस जो भी कर रहा है, उसका अंत सीधे तौर पर युद्ध नहीं होगा। लेकिन पिछले 5 दिनों से दुनिया देख रही है कि सीधे तौर पर एक संप्रभु राष्ट्र पर हमला हुआ है। एक देश पर हमला हुआ और दुनिया के तमाम देश जो यूक्रेन के साथ होने का दावा कर रहे थे। कुल मिलाकर अपने भाषणों के अलावा कुछ कर दिखाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। जेलेंस्की की जो यूक्रेन के राष्ट्रपति हैं। इस पूरे लड़ाई के दौरान कुल मिलाकर अपने देश को बचाने में तो नाकामयाब हैं। लेकिन यह जिताने में कामयाब रहे हैं कि वह किस प्रमाणिकता के साथ, किस कमिटमेंट के साथ के साथ और समर्पण के साथ अपने देश को बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।
व्लादिमीर पुतिन लगातार यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यह हमला रूस के अस्तित्व के लिए कितना जरूरी है। इन सबके बीच में लोग इस आकलन में भी लगे हुए हैं किक्या रूस ऐसी सफलता हासिल कर पा रहा है। जो उसने सोची है। रूस के सैनिकों को सफलता मिल जाएगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आम प्रतिबंध रूस के संदर्भ में लगाए जा रहे हैं। क्या ऐसा करने से रूस पीछे हट जाएगा। और इन सबके बीच हिंदुस्तान के संदर्भ में जो संकट पैदा हुआ है। वह 20000 छात्रों के संदर्भ में है। उन छात्रों को देश वापस लाने के लिए हिंदुस्तान भी लड़ रहा है। तो कुल मिलाकर इस विषय पर हम बात कर रहे हैं और इस विषय पर चर्चा करने के लिए 5 मेहमान हमारे साथ हैं।हे हैं...
बर्बादी की जंग, सुलह की दरकार!
'चर्चा'
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