Haribhoomi-Inh News: 'यूनियन' लामबंद, देश में कामबंद!, 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: यूनियन लामबंद, देश में कामबंद!, चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
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Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम उस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। जिसको जितनी चर्चा में होना चाहिए था। वह उतनी चर्चा में नहीं है। देशभर के तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा तमाम श्रमिक संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर, विभिन्न शिकायतों को लेकर, विभिन्न मुद्दों को लेकर बीते सोमवार से हड़ताल पर है।

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम उस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। जिसको जितनी चर्चा में होना चाहिए था। वह उतनी चर्चा में नहीं है। देशभर के तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा तमाम श्रमिक संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर, विभिन्न शिकायतों को लेकर, विभिन्न मुद्दों को लेकर बीते सोमवार से हड़ताल पर है।

अखिल भारतीय दो दिन की हड़ताल पर तमाम श्रमिक संगठन जिसमें बैंक संगठनों, एलआईसी से जुड़े संगठन हैं, रेलवे से जुड़े हुए संगठन हैं। ऐसा ही कोई संगठन हो जो उससे जुड़ा हुआ होकर हड़ताल पर न हो। वित्त वर्ष का आखिरी समय चल रहा है और इस दौरान दो दिन की इस हड़ताल ने देश के कामकाज को बुरी तरह से प्रभावित भी किया है। इसी को लेकर हमारी आज की बातचीत है। आज का हमारा विषय है 'यूनियन' लामबंद, देश में कामबंद! संदर्भ ये है कि जब देश में काम की सबसे ज्यादा जरुरत है, तब उस काम को करने वाले लोगों को ऐसी कौन सी मजबूरी आन पड़ी।

उन्हें अपना कामकाज ठप करके देश का ध्यान आकर्षित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। देश में स्पष्ट बहुमत की सरकार 8 साल से है। इस सरकार का यह दावा है कि उसने जीवन के हर क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने का प्रयास किया है। लोगों के जीवन को सुधारने का प्रयास किया है। और उसके प्रयासों के बेहतर परिणाम भी आए हैं। लेकिन इससे विपरीत एक तरफ किसान आंदोलन से देश ने देखा कि सरकार के कामकाज को लेकर राजधानी में धरने पर बैठी और अब तमाम संगठन से जुड़े लोग भी हड़ताल पर हैं। तो जानने में दिलचस्पी है कि सरकार की मंशा लोगों की जिंदगी को बेहतर करने की है। उसकी दिशा में तमाम काम किए जा रहे हैं। तो ऐसे में इन संगठनों को नाराजगी किस बात की है।

क्या सरकार देश के वास्तविक मुद्दों को नहीं समझ रही है या सरकार देश के लोगों की भलाई के लिए काम कर रही है और समझा नहीं पा रही है। इसी बात को आज हम समझने की कोशिश करेंगे। इस कार्यक्रम के कई संगठनों के प्रतिनिधि हमारे साथ जुड़े हुए हैं....

'यूनियन' लामबंद, देश में कामबंद!

'चर्चा'

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