Haribhoomi-Inh Exclusive: गुस्से में किसान, कैसे निकले समाधान ? प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी ने की इन मेहमानों से खास चर्चा

Haribhoomi-Inh Exclusive: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसानों का आंदोलन तेज हो चला है। सरकार पर दबाव है। इसी बीच हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी ने खास कार्यक्रम चर्चा में 'गुस्से में किसान, कैसे निकले समाधान' को लेकर मेहमानों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि 'गुस्से में किसान, कैसे निकले समाधान'.. संदर्भ है किसान आंदोलन का... केंद्र के तीन किसान कानूनों को लेकर किसान संगठनों का सात दिन से आंदोलन जारी है... किसान संगठन इन कानूनों को किसान हितों के खिलाफ बता रहे हैं..तो केंद्र सरकार का दावा है कि ये कानून किसानों की भलाई के लिए है... दोनों पक्षों के बीच गतिरोध दूर करने के लिए अब कल दिल्ली में बैठक है... जिसमें दोनों पक्ष अपनी अपनी बातें रखेंगे...केंद्र और किसान के बीच गतिरोध का सीधा असर दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों पर पड़ रहा है... किसान संगठनों के रुख से तो यही लगता है कि इस बार अन्नदाता आसानी से मानने वाला नहीं है।
प्रधान संपादक हिमांशु द्विवेदी ने हिमाचल के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर, किसान नेता शिव कुमार शर्मा (कक्काजी), सीआईएफए मुख्य सलाहकार पी चेंगल रेड्डी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता चौधरी राकेश चतुर्वेदी से कृषि बिलों को लेकर उठ रहे सवालों पर जवाब मांगा।
गुस्से में किसान, कैसे निकले समाधान ?
'चर्चा' यहां देखें पूरा चर्चा
इन मांगों को लेकर सड़क पर देश का किसान
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान सड़कों पर हैं। पिछले कुछ दिनों से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर हैं। किसानों ने दिल्ली चलो मार्च के माध्यम से सरकार पर हाल ही में पारित कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के चलते आंदोलन शुरु किया है। किसान केंद्र से मांग कर रहे हैं कि तीनों विधायकों को वापस ले लें या हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद नया कानून पारित करके अपनी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी दें। किसान मूल्य उत्पादन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते के खिलाफ हैं। जब तक इसमें बदलाव नहीं होता है तब तक कोई विचार विमर्श नहीं किया जाएगा। इस कानून के तहत, किसान सरकारी मंडियों के अलावा अन्य किसानों को अपनी फसल बेच सकेंगे। यह उनकी उपज को अन्य राज्यों में बेचने का प्रावधान भी देता है। अधिक दिलचस्प बात यह है कि यह किसानों को अपनी उपज ऑनलाइन बेचने की अनुमति देता है। लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों का तर्क है कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की वर्तमान प्रणाली को समाप्त करना चाहती है।
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