हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 : भाजपा की सुनामी तय, विपक्षी पार्टियों के बिखराव से खिलता दिख रहा कमल

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 : भाजपा की सुनामी तय, विपक्षी पार्टियों के बिखराव से खिलता दिख रहा कमल
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भारत में लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में भी कमल खिलता नजर आ रहा है, भारतीय जनता पार्टी का मिशन 75+ सफल बनाने में कोई और नहीं बल्कि विपक्षी पार्टियाँ ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती दिख रही है...

साल 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से देश में ऐसी मोदी लहर चली कि वह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही। एक के बाद एक चुनाव भाजपा जीतती जा रही है। पिछले कुछ सालों में हुए चुनाव को देखे तो ये कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा के सामने चुनाव लड़ने वाली विपक्षी पार्टियां अपने अस्तित्व को बचाने के लिए चुनाव लड़ती हैं। अगले कुछ महीने बाद तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Election) होने हैं। इन तीन राज्यों में महाराष्ट्र, झारखंड के साथ हरियाणा भी है।

हरियाणा में वर्तमान स्थिति देखें तो भाजपा बेहद मजबूत स्थिति में नजर आती है। विपक्षी पार्टियों में बिखराव ने भाजपा को चुनाव में सबसे आगे खड़ा कर दिया है। यही कारण है कि मनोहर सरकार यहां सिर्फ चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि प्रचंड जीत दर्ज करने के लिए 'मिशन 75 प्लस' शुरू किया है। इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। पार्टी आलाकमान लगातार प्रदेश में नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहा है।


पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का चुनाव प्रभारी बना दिया। सिर्फ नरेंद्र सिंह को ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री भूपेंद्र सिंह को सह प्रभारी बनाकर ये जता दिया है कि वह चुनाव को हल्के में नहीं लेने वाले। पिछले दिनों पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी दो दिवसीय दौरा करके चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप दिया था।

हरियाणा में भाजपा की मजबूती का कारण विपक्षी बिखराव भी है। जननायक जनता दल, इंडियन लोकदल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, और बसपा जैसी पार्टियों ने अभी तक ये तय नहीं किया कि वह किसके साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने पिछले दिनों कहा कि कोई काबिल मिला तो साथ चुनाव लड़ेगे वरना अकेले ही चुनाव मे उतरेंगे। बसपा ने भी सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कही।


आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस महागठबंधन बनाना चाहती है इसके लिए भूपिंदर हुड्डा जल्द ही एक रैली करने वाले हैं। देखना दिलचस्प होगा कि मंच पर कौन कौन नजर आएगा। इंडियन लोकदल के हालत इस समय बेहद खराब हैं। पूर्व विधायकों के साथ वर्तमान विधायकों ने भी भाजपा का दामन थाम लिया जिससे पार्टी को दोहरा झटका लगा है। पार्टी प्रचार से ज्यादा अब अपने विधायकों को बचाने में लगी हुई है।

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले आर्टिकल 370 खत्म करने का भी फायदा भाजपा को मिलेगा। पार्टी निश्चित तौर पर इसे प्रदेश में प्रमुख मुद्दा बनाएगी। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक ने भाजपा को चुनाव में काफी आगे कर दिया था। जातिगत समीकरण को लेकर भी पार्टी किसी तरह का बदलाव नहीं चाहती। वर्तमान स्थिति को मेनटेन करके वह इस इस चुनाव को बड़े अंतर से जीतना चाहती है।

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