Nepal-India Relations: क्या नेपाल भी रहा है भारत का हिस्सा, जानें इतिहास की Inside Story

Nepal-India Relations: क्या नेपाल भी रहा है भारत का हिस्सा, जानें इतिहास की Inside Story
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सबसे पहले भारत और नेपाल के संबंधों की बात करते हैं। भारत और नेपाल के संबंध (India Nepal Relation) प्राचीन काल से चले आ रहे हैं।

बीते सप्ताह भारत की यात्रा पर आए नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) के बीच कई महत्वपूर्ण करार हुए। भारत समय समय पर नेपाल को मदद भी देता रहा है, लेकिन दोनों देशों के बीच कुछ विवाद है तो वहीं कुछ पारस्परिक संबंधों को मजदूत करने के लिए काम किया जा रहा है। यहां हम भारत और नेता के कुछ ऐसे इतिहास की बात कर रहे हैं, जिससे जानना जरूरी है।

सबसे पहले भारत और नेपाल के संबंधों की बात करते हैं। भारत और नेपाल के संबंध (India Nepal Relation) प्राचीन काल से चले आ रहे हैं। दोनों पड़ोसी राष्ट्र हैं। इसके साथ ही दोनों देशों की धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एक दूसरे से काफी मिलती-जुलती है। स्वतंत्र भारत और नेपाल ने 1950 की भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि के माध्यम से एक दूसरे को अपना योगदान दिया।

भारत और नेपाल का संबंध

जब भारत में स्वतंत्रता के लिए आंदोलन चल रहा था तब ब्रिटिश शासन ने 1904 में पहाड़ी राजाओं के साथ एक संधि की और नेपाल को एक स्वतंत्र देश घोषित कर दिया। लेकिन परोक्ष रूप से नेपाल अंग्रेजों के अधीन रहा। कहते हैं कि 1923 में ब्रिटेन और नेपाल के बीच फिर से एक संधि हुई और नेपाल पूरी तरह से स्वतंत्र देश घोषित कर दिया गया। लेकिन भारत की आजादी अभी बहुत दूर थी। इतिहासकारों की माने तो आजादी के पहले कुल 15 देश भारत से अलग हुए थे। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत पहले कितना बड़ा देश रहा होगा। कई पड़ोसी देश भारत से अलग अलग समय पर बंट गए।

भारत नेपाल के बीच क्या है विवाद

साल 2021 में भारत और नेपाल के बीच एक नक्शे को लेकर विवाद सामने आया था। लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल ने अपना बताया था। नेपाल का दावा था कि कालापानी के पास पड़ने वाला यह इलाका नेपाल का हिस्सा है और भारत ने नेपाल से बात किए बगैर इस इलाके में सड़क निर्माण का काम किया है। नेपाल ने आधिकारिक तौर पर नेपाल का एक नया नक्शा जारी किया था। जो उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता है। जबकि 1816 में इस संबंध में सुगौली संधि का उल्लेख किया है। सुगौली संधि के तहत, काली नदी के पूर्व के सभी क्षेत्र, जिनमें ये तीनों शामिल हैं। यह एक हैं और नेपाल का अभिन्न अंग है।

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