स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा लॉकडाउन से पहले प्रवासी मजदूरों को लाना होता बेहतर, संक्रमण की रफ्तार भी कम होती

देश में कोरोना वायरस का संक्रमण काफी रफ्तार की गति में दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट में देश में कोरोना केस की संख्या बढ़कर 1,82,143 पर पहुंच गई है। वहीं, मरीजों की मौत का आंकड़ा 5,164 पर पहुंच गई है।
संक्रमण का यह सिलसिला अन्य राज्यों से आए मजदूरों के बाद ज्यादा तेज हो गया है। इस बीच जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा कि अगर लॉकडाउन लागू और कोरोना के शुरुआती दौर में ही प्रवासी मजदूरों को घर लौटने की अनुमति जारी की गई होती तो शायद हालात इतने बिगड़े न होते, जितना की आज है।
शुरुआती के राज्यों में फैले संक्रमण (Coronavirus) तक ही सीमीत रह सकता था। हालांकि थोड़ा बहुत दूसरे राज्यों में भी असर देखने को मिलता। लेकिन आज के हालात जिन राज्यों में केस नहीं था, उन राज्यों में भी कोरोना केस की गति रफ्तार हो गई।
विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के तहत पीएम मोदी को सौंपी रिपोर्ट
एम्स, जेएनयू, बीएचयू समेत अन्य संस्थानों के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जारी रिपोर्ट में कहा कि लौट रहे प्रवासी अब देश के हर हिस्से में संक्रमण लेकर पहुंच रहे हैं। अब शहर से गांव तक संक्रमण का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
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इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (IPHA), इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमोलॉजिस्ट (आईएई) के विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के तहत एक रिपोर्ट तैयार की है और इसे पीएम नरेंद्र मोदी को भेजा है।
लोगों को सीमित अभाव मिलने से संक्रमण बढ़ने की आशंका
भारत में 25 मार्च से 30 मई तक देश भर में लॉकडाउन सबसे सख्त रहा। बावजूद इस दौरान संक्रमण (Corona Infection) के मामले तेजी से बढ़े। इसे देखते हुए, ऐसा लगता है कि जनता को इस बीमारी के बारे में सीमित जानकारी दी होगी।
चिकित्सकों और महामारी विशेषज्ञों ने शुरू में सीमित क्षेत्र के प्रशिक्षण और कौशल के साथ सरकार को सलाह दी। महामारी विज्ञान, जन स्वास्थ्य, निवारक दवाओं और सामाजिक वैज्ञानिकों के क्षेत्र में विज्ञान विशेषज्ञों के साथ बातचीत की गई।
विशेषज्ञों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और मानवीय संकटों से निपटने के लिए केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर पर अंतर-अनुशासनात्मक सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक वैज्ञानिकों की एक समिति गठन करने की सिफारिश की है।
उन्होंने सुझाव दिया कि जांच के नतीजों समेत सभी आंकड़ें अनुसंधान समुदाय के लिए सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि इस वैश्विक महामारी पर नियंत्रण पाने का समाधान खोजा जा सके। साथ ही संक्रमण के स्तर को कम करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखना होगा।
इसके अलावा लॉकडाउन से जुड़े परेशानियों से निपटान के लिए सामाजिक जुड़ाव को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने निजी अस्पतालों सहित चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों और श्वसन संबंधी बीमारी के गंभीर मरीजों के लिए निगरानी बढ़ाने की सिफारिश की।
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