उच्च-शिक्षा लेने वाले छात्रों को मिलेंगे दोगुने रोजगार के मौके, एमएचआरडी ने रोडमैप किया तैयार

रोजगार के मसले पर अकसर विपक्ष के निशाने पर रही मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में इससे पूरी तरह से निजात पाने की तैयारी शुरू कर दी है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने एक पंचवर्षीय कार्ययोजना का रोडमैप तैयार किया है। जिसके जरिए आने वाले समय में उच्च-शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे क्रांतिकारी कदम उठाए जाएंगे। जिससे उसका चेहरा-मोहरा बिलकुल बदल जाएगा यानि पहले के मुकाबले दुरूस्त हो जाएगा। इस काम के लिए मंत्रालय ने दस विशेषज्ञ समूह क्षेत्रों की एक सूची बनाकर उसमें उन जरूरी विषयों को शामिल किया है, जिनसे देश-दुनिया में उच्च-शिक्षा की स्थिति बेहतर नजर आएगी। इस योजना को केंद्रीय एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जारी कर दिया है।
उठाने होंगे 50 जरूरी कदम
मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक इस पंचवर्षीय योजना को इक्यूप (एजूकेशन क्वालिटी अपग्रेडेशन एंड इनक्लूशन प्रोग्राम) नाम दिया गया है। इसमें उच्च-शिक्षा से जुड़े हुए दस विशेषज्ञ समूहों ने कुल 50 जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिससे उच्च-शिक्षा में सुधार के अलावा इसे छात्रों के लिए रोजगारपरक भी बनाया जा सकता है। अभी इससे संबंधित प्रस्ताव को अंतर-मंत्रालयी विमर्श के लिए भेजा गया है। इसके बाद वित्त मंत्रालय की ईएफसी समिति की मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट की हरिझंडी के लिए भेजा जाएगा।
इन क्षेत्रों पर रहेगा जोर
इन पांच सालों के दौरान मंत्रालय का पूरा जोर एमप्लॉयबिलिटी एंड आंत्रप्रन्योरशिप, प्रमोटिंग एक्सीलेंस, प्रमोशन ऑफ रिसर्च एंड इनोवेशन, गवर्नेंस रिफॉर्म्स, इंटरनेशनलाइजेशन, स्ट्रेजीस फार एक्सपेंडिंग असेस, टूवर्डस ग्लोबल बेस्ट टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस, फार यूजिंग टेक्नोलॉजी फार बेटर रीच, फाइनेंसिंग हायर एजूकेशन और अस्सिमेंट, एक्रीडिटेशन एंड रैंकिंग सिस्टम्स जैसे बिंदुओं पर रहेगा। इनपर रिपोर्ट तैयार करने और सुझाव देने में देश के जाने-माने वरिष्ठ शिक्षाविदों, प्रशासकों और उद्योगपतियों ने अहम भूमिका निभाई है।
मुख्य लक्ष्य
उच्च-शिक्षा लेकर निकलने वाले छात्रों के लिए रोजगार के दुगने अवसर उपलब्ध कराना, सकल नामांकन दर (जीईआर) को दुगना करना और संस्थानों में सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करना, वैश्विक मानकों के हिसाब से शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना, भारत को एक ग्लोबल स्टडी डेस्टीनेशन के रूप में प्रचारित करना, विश्व के टॉप 1 हजार विश्वविद्यालयों की सूची में भारत के 50 संस्थानों को शामिल करना, शोध-नवाचार के लिए बेहतर इकोसिस्टम बनाना जिससे भारत दुनिया के शीर्ष 3 देशों में शमिल हो जाए, उच्च-शिक्षा में निवेश को कई गुना बढ़ाना प्रमुख हैं।
इनकी मदद से तैयार हुई योजना
आईआईटी मद्रास के बीओजी अध्यक्ष पवन गोयनका, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम़ एस़ अनंत, आईआईटी दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रोफसर सुरेंद्र प्रसाद, पीएम के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर विजय राघवन, आईआईएम कोलकात्ता के पूर्व अध्यक्ष अजीत बालाकृष्णन, एनआईटी गोवा के अध्यक्ष प्रोफसर दीपक पाठक, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, इनफोसिस के पूर्व सीईओ कृष गोपालकृष्णन शामिल हैं।
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