Haribhoomi-Inh News: सहमा बाजार... सियासत गुलजार! प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कार्यक्रम की शुरुआत में कहा कि चर्चा के तहत आज हम उस विषय पर बात करेंगे, जिसने पिछले एक सप्ताह से देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया है। देश ही नहीं बल्कि समूचे एशिया में सबसे बड़ी औद्योगिक पहचान रखने वाला अडानी समूह इस समय संकट में है। उस संकट पर देश में जमकर सियासत भी चल रही है। इस मामले को लेकर 'सहमा बाजार...सियासत गुलजार' आज का टॉपिक है।
देश को हिला देने वाले इस मुद्दे की शुरुआत होती है 24 जनवरी 2023 से जब हिंडनबर्ग कंपनी के द्वारा एक रिपोर्ट पेश की जाती है। उस रिपोर्ट में बताया जाता है कि जिनको इस दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है वो और उसकी कंपनी असल में रेत के ढेर के समान है।
जिस बुनियाद पर इस कंपनी खड़ा किया गया है उसमें कई आशंकाएं हैं। हिडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि अडानी ने अपनी संपत्ती को 85 प्रतिशत तक बढ़ा-चढ़ा कर बताया है। इस रिपोर्ट के आने के बाद से ही शेयर बाजार में भूचाल आया हुआ है। लगातार अडानी के शेयर नीचे गिर रहे हैं।
इससे पहले अडानी द्वारा निवेशकों के लिए बड़ी योजना लाई गई थी। FPO से बीस हजार रुपए बाजार से जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। परिस्थिती प्रतिकूल होने के बाद भी अडानी इस योजना को लाए। लेकिन फिर भी यह FPO अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहा। अडानी के शेयर इस FPO को लाने से पहले 3400 प्रति शेयर था, जोकि आज 1500 प्रति शेयर पर जा पहुंचा है। इसके बाद उन्होंने ट्विटर के माध्यम से कहा कि भले ही यह FPO अपने लक्ष्य में कामयाब हो गया है, लेकिन फिर भी वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए यह गलत होगा कि हम इस पैसे को अपने पास रखें। इसलिए हम इस पैसे को अपने निवेशकों को वापस लौटा रहे हैं।
इसी बीच में लोकसभा और राज्यसभा का सत्र शुरू हुआ और विपक्ष इस मसले को लेकर हमलावर हैं। विपक्ष द्वारा लगातार आरोप लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा अडानी समूह को विशेष समर्थन मिल रहा है। इसके कारण से विपक्ष इस मसले को लेकर जांच की मांग कर रहा है।
अब यह सोचने वाली बात है कि हिडन वर्ग के रिपोर्ट में कथित दावे सच हैं, या फिर यह अडानी और देश के प्रति षड़यंत्र रचा जा रहा है। अडानी समूह ने मामले में कहा कि यह सिर्फ हमारे संदर्भ में नहीं बल्कि भारत की संभावनाओं को रोकने के लिए की जा रही कोशिश है। अडानी समूह के दावे के संदर्भ में कुछ घटनाएं भी दिखाई देती है। क्योंकि एक बैंक और एक क्रेडिट संस्था अडानी समूह के संदर्भ में जीरो रेटिंग करार देती है। इसलिए यह घटनाक्रम काफी बड़ा है। इसको लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों को बुलाकर चर्चा की गई।
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