Hindi Diwas 2020: जब 'हिंदी भाषा' को लेकर हुई थी महात्मा गांधी और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला में भिड़ंत, सन्न रह गए थे सुनने वाले लोग

Hindi Diwas 2020: हिंदी भाषा के लिए महात्मा गांधी के प्रेम से हर कोई वाकिफ है। लेकिन एक ऐसा भी किस्सा है जब हिंदी को लेकर महात्मा गांधी और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के बीच वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। बताया जाता है कि निराला जी महात्मा गांधी से काफी नाराज हो गए थे। हालांकि बाद में महात्मा गांधी को अपनी गलती का एहसास हो गया था।
महात्मा गांधी के भाषण पर भड़के थे निराला
बात उस वक्त की है जब महात्मा गांधी को हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में मंच पर अपना भाषण प्रस्तुत करना था। महात्मा गांधी ने अपनी बातें शुरू की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं तुलसीदास का पुजारी हूं, इसलिए हिंदी से मेरा खास लगाव है। लेकिन मेरा सवाल ये है कि हिंदी में रविंद्रनाथ टैगोर कहां है? क्या हिंदी में कोई प्रफुल्लचंद्र राय है? या फिर हिंदी में कोई जगदीश बोस है?
बात इतने पर नहीं रुकी। महात्मा गांधी ने इस दौरान ये भी कहा कि अगर किसी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना है, तो उस भाषा में इन महान लोगों को ढ़ूंढ़ा ही जाएगा। बता दें कि महात्मा गांधी की ये बात सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को बुरी लग गई।
निराला और महात्मा गांधी गांधी की भिड़ंत
इसके बाद निराला जी ने गांधीजी से मिलने की जिद्द पकड़ ली। काफी मशक्कत के बाद 20 मिनट के लिए निराला जी को महात्मा गांधी से मिलने का मौका मिला। इस मीटिंग के दौरान महात्मा गांधी से निराला की काफी बहस हुई।
निराला ने महात्मा गांधी से कहा कि आप पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी का नाम कैसे भूल गए? उन्होंने महात्मा गांधी से ये तक कह दिया कि आपका कोई अधिकार नहीं है कि आप ये बोलें कि हिंदी में कोई रविंद्रनाथ टैगोर नहीं है। बता दें कि इस बहस के बाद महात्मा गांधी को भी अपनी गलती का एहसास हो गया था।
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