Congress: गृह राज्य कर्नाटक है खड़गे के लिए असली चुनौती, जानिए क्या हैं राजनीतिक समीकरण

Congress: गृह राज्य कर्नाटक है खड़गे के लिए असली चुनौती, जानिए क्या हैं राजनीतिक समीकरण
X
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए सबसे बड़ी चुनौती उनका गृह राज्य कर्नाटक ही है। कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) बड़ी आसानी से चुनाव जीतकर कांग्रेस (Congress) के अध्यक्ष (President) बन चुके हैं। उनके अध्यक्ष पद की शपथ लेने से पहले ही हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। गुजरात (Gujrat) के चुनावों की घोषणा कभी भी हो सकती है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस के सामने सत्ता में आने की चुनौती है। लेकिन राजनितिक पंडितों का मानना है कि खड़गे के सामने गुजरात और हिमाचल से ज्यादा चुनौती (Challenge) अपने गृह राज्य कर्नाटक (Karnataka) में है। कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस में भारी गुटबाजी है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि खड़गे कर्नाटक की अग्निपरीक्षा को पास कर पाते हैं या नहीं।

कर्नाटक में गुटबाजी सबसे बड़ी समस्या

कर्नाटक कांग्रेस में इस समय भारी गुटबाजी है। एक खेमा पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (siddaramaiah) है, तो दूसरा खेमा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) का है। दोनों नेता समय-समय पर अपना शक्ति प्रदर्शन भी करते रहते हैं। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों नेता मुख्यमंत्री बनने की हसरत रखते हैं। उम्मीद है कि चुनाव में टिकट वितरण के समय भी दोनों नेता अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलाने का प्रयास करेंगे और इससे पार्टी में टकराव भी बढेगा। इसलिए राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा में दोनों नेताओ को साथ लेकर एकता का संदेश भी दिया। चूंकि कर्नाटक खड़गे का गृह राज्य है, ऐसे में पार्टी चाहेगी कि खड़गे गुटबाजी को खत्म करने में सफल रहें। जोकी खड़गे के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं रहने वाला।

दलित वोटर्स का रुझान भाजपा की तरफ ज्यादा

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पिछले कई सालों से कर्नाटक में कांग्रेस का आधार दलित वोट तेजी से सिकुड़ता जा रहा है। दलितों के एक बड़े वर्ग का रुझान भाजपा की ओर तेजी से बढ़ रहा है। राजनितिक पंडितों का मानना है कि आतंरिक आरक्षण के मसले पर लेफ्ट और राइट विंग के बीच उभरे मतभेदों को खत्म करने में कांग्रेस विफल रही है। इसी वजह से उसने वामपंथियों का समर्थन खो दिया है, जो राज्य में अच्छी-खासी संख्या में उपस्थित हैं। खड़गे भी दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। दलित वामपंथियों को अपने पक्ष में करने की उनकी कुशलता ही तय करेगी कि आगामी चुनाव में चीजें कांग्रेस के पक्ष में होंगी या नहीं।

Tags

Next Story