1 जनवरी को कलकत्ता बना था कोलकाता, जाने कोलकाता नाम का इतिहास

कोलकाता नाम शहर को आधिकारिक रूप से 1 जनवरी 2001 को मिला था। इससे पहले इसे कलकत्ता, कैलकटा आदि नामो से भी पुकारा जाता था। अंग्रेज इसे हमेशा कैलकटा नाम से पुकारते थे वहीँ उत्तर भारत के लोग या हिंदी भाषा के लोग इसको कलकत्ता नाम से पुकारते थे। हालांकि बंगाली भाषा के लोग हमेशा से इसे कोलकाता या कोलिकाता नाम से ही पुकारते थे। कोलकाता का इतिहास बहुत पुराना है और भारत में यह सबसे पहले बसने वाले शहरों में से एक है।
नाम को लेकर है कई कहानियां
कोलकाता नाम को लेकर सबसे प्राचीन कहानी जो है वो ये कि इसका नाम देवी काली माता के नाम पर पड़ा है। शहर में एक प्राचीन काली मंदिर भी है जिसके दर्शन करने दूर दूर से लोग आते हैं। यह मंदिर हुगली नदी के किनारे बैरकपुर में बना हुआ है। इसका निर्माण महारानी रासमनी ने सन 1855 में बनवाया था।
प्राचीन में चीन और फारसी के साथ व्यापारिक दस्तावेजों में भी बंदरगाह के रूप इसका नाम आता है। बंगाल के नवाब सिराजुदौल्ला ने इसे जीतकर इसका नाम अलीनगर रख दिया। बहुत जल्द अंग्रेजो ने इसे वापस अपने कब्जे में ले लिया था। कोलकाता के नाम के नाम पर अभी भी लोग भर्मित रहते हैं जबकि पहले लोग इसे लेकर थोड़ा अधिक कंफ्यूज रहते थे। अंत में जाकर 1 जनवरी 2001 में इस शहर को परमानेंट नाम मिला "कोलकाता"।
ब्रिटिश इंडिया में थी राजधानी
आज भारत की राजधानी दिल्ली है लेकिन इससे पहले कोलकाता देश की राजधानी हुआ करती थी। वारेन हेस्टिंग ने कोलकाता को ब्रिटिश इंडियन की राजधानी बना दिया। वारेन हेस्टिंग ने 1772 में इसे भारत की राजधानी बना दिया जो 1911 तक भारत की राजधानी रही। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष ( व्योमेश चंद्र बनर्जी) भी कोलकाता से थे। शहर का कोलकाता हाई कोर्ट भारत का सबसे पुराना हाई कोर्ट है।
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