राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आईएफएस अधिकारियों को संदेश, कहा- वनों को अवैध गतिविधियों से बचाएं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने बुधवार को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के लिए वनों को आवश्यक बताते हुए भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारियों से वनों को अवैध गतिविधियों से बचाने में प्रभावी भूमिका निभाने को कहा है।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आईएफएस के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत वनों में रहने वाले समुदायों के अधिकारों पर विशेष ध्यान दे रहा है।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों सहित वनवासियों के वनों के साथ सहजीवी संबंध को अब व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है और इसका हमारे विकास के लिए अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे इन समुदायों को जैव-विविधता के संरक्षण के प्रति उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करें।
भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर जंगल में आग लगने की घटनाओं के बारे में बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे पास न केवल वनों के संरक्षण, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की भी बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि आज हमारे पास शहरी वानिकी, वनों को खतरे कम करना, डेटा संचालित वन प्रबंधन और जलवायु-स्मार्ट वन अर्थव्यवस्थाओं की नई प्रौद्योगिकियां और अवधारणाएं हैं। आपको इन सबसे निपटने के लिए नए तरीके ढूंढने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे वनों को उन अवैध गतिविधियों से बचाने में प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए, जिनका नकारात्मक प्रभाव हमारे आर्थिक और पर्यावरण पर पड़ता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि लघु वनोपज हमारे देश में 27 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका के लिए बहुत ही मददगार है। वनों का औषधियों के भी भारी महत्व होता है। भारत में केवल 15 प्रतिशत औषधीय पौधों की खेती की जाती है, जबकि 85 प्रतिशत वनों और अन्य प्राकृतिक आवासों से ही एकत्र किए जाते हैं।
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