IIM अहमदाबाद की HRD मंत्रालय को दो टूक, 'हम एक स्वतंत्र संस्थान हैं, केंद्र से कोई लेना देना नहीं'

प्रबंधन के क्षेत्र का मक्का कहे जाने वाले आईआईएम अहमदाबाद द्वारा पूछे गए कुछ चुभते हुए सवालों को लेकर इन दिनों केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) के माथे पर बल पड़ गए हैं। कोई जवाब नहीं सूझ रहा है। इसलिए अब उसने इसका सटीक समाधान तलाशने के लिए कानून मंत्रालय की शरण में जाने का फैसला लिया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पूरा मामला आईआईएम (IIM) संस्थानों को सशक्त बनाने के लिए बीते डेढ़ वर्ष पहले 2017 में दी गई स्वायत्ता से जुड़ा हुआ है।
जिसका हवाला देकर ही अब आईआईएम अहमदाबाद ने मंत्रालय को ही दो टूक अंदाज में यह पाठ पढ़ाने की कोशिश की है कि स्वायत्ता वाले कानून के लागू होने के बाद से वह एक स्वतंत्र संस्थान है, जिसका केंद्र सरकार से कोई वास्ता नहीं है। इतना ही नहीं संस्थान अपने इस मत पर बेहद तत्परता के साथ केंद्र की पुष्टि लेने पर भी आमादा है। आगामी 29 जून को होने वाली बोर्ड की बैठक का एजेंड़ा मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेज दिया गया है, जिसमें उक्त बिंदु को भी प्रमुखता से शामिल किया गया है।
संसद के कानून से बने आईआईएम
अधिकारी ने कहा कि देश में आईआईएम संस्थानों की स्थापना केंद्र सरकार की सिफारिश पर संसद द्वारा कानून बनाकर की गई है। इस तरह से स्वतंत्रता की बात करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। क्योंकि इनका वार्षिक ऑडिट नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) द्वारा किया जाता है, वार्षिक रिपोर्ट संसद के पटल पर रखी जाती है, इनपर भी वेतन-टैक्स को लेकर केंद्रीय कानून लागू होता है।
इसके अलावा आईआईएम (IIM) में भी दाखिला प्रक्रिया में आरक्षण की व्यवस्था लागू है। ऐसे में यह संस्थान किसी भी सूरत में यह नहीं कह सकते हैं कि वो पूर्ण स्वतंत्र हैं और केंद्र से उनका कोई संबंध नहीं है। मंत्रालय कानूनी विमर्श के अलावा हर हाल में आईआईएम अहमदाबाद (IIM Ahmedabad) की 29 जून को होने वाली बोर्ड की बैठक के एजेंड़े में शामिल इस बिंदु को हटाने की तैयारी कर रहा है।
मूल काम पढ़ाना है
आईआईएम संस्थानों का मूल काम छात्रों को प्रबंधन के विषय में उच्च-स्तर की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है, जिससे भारत का यश देश और दुनिया में फैले। केंद्र से स्वतंत्रता के विषय में विचार करना ही गैर-जरूरी विषय है। लेकिन इसके सामने आने के बाद मंत्रालय के लिए भी चेतावनी का अलार्म बज चुका है और वह भी स्वायत्ता व उसके विस्तार पर मंथन करेगा। क्योंकि उसे अंदेशा है कि अहमदाबाद की तर्ज पर कहीं आने वाले वक्त में बाकी 19 आईआईएम संस्थान भी केंद्र से मुखालफत की राह को न पकड़ लें।
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