चीन से आयात के ऊपर आईआईएम ने किया शोध, तीन साल के भीतर भारत बन सकता है आत्मनिर्भर

भारत यदि चाहे तो तीन साल के अंदर चीन से 100 फीसदी आयात खत्म कर आत्मनिर्भर बन सकता है। हाल ही में भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) इंदौर के इंटरनेशनल बिजनेस स्ट्रेटजी के प्रोफेसर डॉ. प्रशांत सल्वान के शोध में यह बात सामने आई है। हरिभूमि ने लॉकडाउन के समय चीन से आयात होने वाले समानों के विकल्प को लेकर खबर प्रकाशित की थी। जिसके कंटेंट की नीति आयोग ने सराहना की।
डॉ. सल्वान बताते हैं कि खबर के बाद उन्हें शोध करने का आयडिया आया। जिसके बाद उन्होंने 1980 से चीन भारत व्यापार का अध्ययन किया (जब चीन आर्थिक रूप से भारत से पीछे था-वर्तमान 2020 तक)। इस अध्ययन में जबरदस्त और आश्चर्यजनक डेटा और जानकारी की खोज की गई थी। आपको यह जानकर खुशी होगी कि डॉ. सल्वान ने चीन आयात के विकल्प को लेकर जो शोध किया उसकी रिपोर्ट नीति आयोग ने स्वीकार कर प्रशंसा की।
डॉ. सल्वान ने बताया कि शोध आर्थिक जटिलता मॉडल पर आधारित था, और नवाचार क्षमताओं ने पाया कि हम तीन साल के भीतर चीनी आयात का 100% भारत में स्थानापन्न कर सकते हैं। भारत में आयात प्रतिस्थापन और निर्यात प्रतिस्पर्धा विकसित करने के लिए सभी बंदोबस्त हैं।
मलेशिया और वियतनाम देशों का भी अध्ययन
डॉ. सल्वान ने बताया कि हमने एशियन देशों और विशेष रूप से मलेशिया और वियतनाम का भी अध्ययन किया और पाया कि ये देश अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को बहुत तेजी से विकसित कर रहे हैं। वियतनाम अब फोन पार्ट्स, फर्नीचर, स्वचालित डेटा प्रक्रिया मशीनों का निर्यात कर रहा है, मलेशिया इलेक्ट्रॉनिक एकीकृत सर्किट, अर्धचालक उपकरणों का उत्पादन कर रहा है। ये देश सिर्फ 2015 में इन सभी उत्पादों का आयात करते थे। एपीआई फार्मा स्पेस में हमने जो किया, उसे दोहराना नहीं चाहिए।
आर्थिक जटिलता मॉडल को चार श्रेणियों में बांटा
आर्थिक जटिलता मॉडल और नवाचार क्षमताओं के ढांचे का उपयोग करते हुए चीन से सभी श्रेणियों को चार श्रेणियों में विभाजित किया है। पहला हाईटेक उत्पाद: वे उत्पाद जिन्हें उन्नत नवाचार क्षमताओं की आवश्यकता होती है। जटिल पूंजीगत सामान जैसे उत्पाद।
दूसरा प्रौद्योगिकी उत्पादों को टेलीकॉम उपकरण, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों जैसे नवाचार क्षमताओं और अनुकूलन के स्वीकार्य स्तर की आवश्यकता होती है। तीसरा कमोडिटी तकनीकी उत्पाद, जिनमें बुनियादी तकनीक होती है और डायोड, इंटीग्रेटेड सर्किट आदि जैसे विभेदक होता है और चौथा कृषि उत्पाद, धातु जैसे कमोडिटीज, लौह अयस्क आदि। यह विभाजन सरकार को खंड और उत्पाद स्तर की रणनीति बनाने में मदद करेगा।
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