Swatantrata Diwas par Kavita: यहां पढ़ें स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी कविताएं

Swatantrata Diwas par Kavita: इस साल 15 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। भारत ने 200 साल पुराने अंग्रेजों की गुलामी से 15 अगस्त 1947 को आजादी पाई थी। जिसको लेकर हर साल भारत अपना आजादी का जश्न मनाता है। इस साल भी यह जश्न कोरोना संकट की वजह से कम उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस बार उत्साह में बच्चे शामिल नहीं होंगे।
भारत की आजादी में सिर्फ बड़े-बड़े लोगों का ही नहीं बल्कि हर उस फ्रीडम फाइटर का सहयोग रहा। जिसने भारत को आजाद कराने के लिए अपनी अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी। 14 अगस्त और 15 अगस्त के मध्य रात्रि को भारत को आजादी मिली। इस मौके पर गूगल पर लोग भारत के स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी शायरी, कविता, तस्वीरें, फोटो सर्च कर रहे हैं। आप भी अपने रिश्तेदारों, परिजनों और चाहने वालों को यह कविताएं मैसेज शायरी फोटो व्हाट्सएप स्टेटस भेजें।
स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं, Poem on Independence Day, Swatantrata Diwas par Kavita
"भारत: सोने की चिड़िया"
क्या पढ़ते हो किताबों में
आओ मैं तुम्हे बताती हूँ,
15 अगस्त की असली परिभाषा
आज अच्छे से समझती हूँ।
एक दौर था जब भारत को,
सोने की चिड़िया कहते थे।
कैद कर लिया इस चिड़िये को,
वो शिकारी अंग्रेज कहलाते थे।
कुतर-कुतर कर सारे पंख,
अधमरा कर छोड़ा था।
सांसें चल रही थी बस,
ताकत से अब रिश्ता पुराना था।
कहते हैं कि हिम्मत से बढ़ कर,
दुनिया में और कुछ नहीं होता।
कतरा-कतरा समेट कर,
फिर उठ खड़ी हुई वो चिड़िया।
बिखर गए थे सारे पंख,
तो बिन पंखो के उड़ना सीख लिया।
परिस्थिति चाहे जैसी भी थी दोस्तों,
उसने लड़ना सीख लिया।
लड़ती रही अंतिम सांस तक,
और सफलता उसके हाथ लगी।
आज़ादी की थी चाह मन में,
और वो आज़ादी के घर लौट गयी।
आज उस चिड़िया को हम,
गर्व से भारत बुलाते हैं।
और सीना गद-गद हो जाता,
जब हम भारतीय कहलाते हैं।
आज़ादी का यह पर्व दोस्तों,
आओ मिल कर मनाते हैं,
चाहे रहें हम अमेरिका या लंदन
भारत को आगे बढ़ाते हैं,
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"आजादी की कहानी"
दुनिया में कुछ भी मुश्किल नहीं होता, मन में विश्वास होना चाहिए,
बदलाव लाने के लिए, मन मिटने का भाव होना चाहिए।
बात उस दौर की है जब भारत एक गुलाम था,
हम पर हुकूमत था करता, वो ब्रितानी ताज था।
जुल्म का स्तर कुछ इस प्रकार था की भरी दोपहर में अंधकार था,
हर पल मन एक ही ख्याल सताता, कि अब अगला कौन शिकार था।
किन्तु फिर भी मन में विश्वास था, क्योंकि कलम का ताकत पास था,
जो मौखिक शब्द न कर पाते, ऐसे में ये एक शांत हथियार था।
आक्रोश की ज्वाला धधक रही थी, आंदोलन बन के वो दमक रही थी,
स्वतंत्रता की बात क्या उठी, चिंगारी शोले बन चमक रही थी।
लिख-लिख कर हमने भी गाथा, दिलो में शोलों को भड़काया था,
सत्य अहिंसा को हथियार बनाकर, अंग्रेजों को बाहर का मार्ग दिखाया था।
आसान नहीं था ये सब कर पाना, इतने बड़े स्वप्न को साकार कर पाना,
श्रेय तो जाता उन योद्धाओं को, जिन्होने रातों को भी दिन था माना।
बहुत मिन्नतों बाद दिखा हमें, आजादी का ये सवेरा था,
आओ मिलकर इसे मनाये, फहरा के आज तिरंगा अपना।
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"15 अगस्त के उपलक्ष्य में कविता"
15 अगस्त 1947 को हो गए थे आजाद हम,
आजादी के इतने साल बाद भी क्या,
समझ पाए आजादी का मतलब हम।
पहले ब्रिटिश शासन के तहत,
जकड़े थे गुलामी के बेड़ियों में,
आज संविधान लागू होने के बाद भी,
जाति-पाति के कारण हो गए हैं,
अपने ही देश में गुलाम हम।
पहले रंग-भेद के जरिए गोरों ने हमको बाँटा था,
आज हमारे अपनो ने ही,
बाँट दिए जातिवाद और धर्मवाद के नाम पर हमें।
जो भारत पहचान था कभी,
एकता, अखण्डता और विविधता का,
वो भारत ही झेल रहा है दंश अब आन्तरिक खंडता का।
बाँधा था जिन महान देशभक्त नेताओं ने,
अपने बलिदानों से एकता के सूत्र में हमें,
अपने ही कर्मों से अब उनकी आत्माओं को,
दे रहे हैं लगातार त्राश हम।
जातिवाद, आरक्षण और धर्मवाद ने,
बुद्धि को हमारी भरमाया है,
राजनेताओं ने अपने हित की खातिर,
हमको आपस में लड़वाया है।
बहुत हुआ सर्वनाश अपना,
कुछ तो खुद को समझाओं अब,
देश पर हुए शहीदों की खातिर,
समझो आजादी का मतलब अब।।
जय हिन्द, जय भारत।
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