India Alliance Angry: इंडिया अलायंस की नाराजगी कांग्रेस पर पड़ेगी भारी, अखिलेश या मायावती को नहीं मनाया तो होगा बड़ा नुकसान

India Alliance Angry With Congress: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने छह दिसंबर को इंडिया अलायंस की बैठक बुलाई, लेकिन ममता बनर्जी और नीतीश कुमार समेत कई नेताओं ने इस बैठक से किनारा कर लिया है। खास बात है कि सबसे बड़े राज्य यूपी के प्रमुख विपक्षी दल सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। ऐसे में बताया जा रहा है कि इस बैठक को टाल दिया गया है। जानकारों का कहना है कि पांच राज्यों में से चार राज्य हारने के कारण कांग्रेस बैकफुट पर है। यही वजह है कि जो नेता कल तक कांग्रेस का गुणगान कर रहे थे, वहीं अब उनके सुर बदले नजर आ रहे हैं। ये बदले सुर संकेत दे रहे हैं कि अगर कांग्रेस का रूख ऐसा ही रहा, तो इंडिया गठबंधन का टूटना तय है। अब सवाल उठता है कि अगर इंडिया गठबंधन टूटता है, तो यूपी में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस के पास क्या नया विकल्प होगा। आइये जानने का प्रयास करते हैं...
कांग्रेस का यूपी में जीतना जरूरी
माना जाता है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। यूपी में कांग्रेस की मौजूदा हालत देखें तो सपा से खासी उम्मीद थी, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव छह दिसंबर को होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। सपा और कांग्रेस में रार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के सीटों के बंटवारे पर पड़ी थी। सपा ने छह सीटें मांगी थी, लेकिन कांग्रेस ने इनकार कर दिया था। यही नहीं, कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कौन अखिलेश-वखिलेश का अमर्यादित बयान दे दिया था। इसके बाद दोनों तरफ से प्रहार किए गए। नतीजा ये हुआ कि अखिलेश यादव ने यूपी में पीडीए गठबंधन के लिए प्रचार अभियान शुरू कर दिया। अखिलेश यादव को उम्मीद है कि पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक समीकरण को साधकर लोकसभा चुनाव जीत लेंगे। हालांकि सपा को यह भी डर है कि कहीं कांग्रेस और बसपा में गठबंधन न हो जाए तो नुकसान हो सकता है। शायद यही कारण है कि अखिलेश यादव ने कल यानी सोमवार को बयान दिया था कि चुनावी नतीजों से लगता है कि कांग्रेस का अहंकार खत्म हो जाएगा। उम्मीद है कि आने वाले समय में फिर से रास्ता निकलेगा। तो चलिये बताते हैं कि सपा को कांग्रेस से ज्यादा डर बसपा से क्यों है।
लोकसभा चुनाव 2019 में यूपी के समीकरण
यूपी में 2019 का लोकसभा चुनाव सपा, बसपा और रालोद ने मिलकर लड़ा था। बसपा ने 38, सपा ने 37 और रालोद ने 3 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था। यूपीए यानी कांग्रेस गठबंधन ने 67 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से कांग्रेस के सहयोगी दल जेएपी के 3 उम्मीदवार शामिल हैं। वहीं, बीजेपी की बात की जाए तो 78 सीटों पर और अपने सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। नतीजे आए तो एनडीए गठबंधन को 64 सीटें, बसपा को 10, सपा को 5 और कांग्रेस की बात करें तो महज 1 सीट पर जीत मिली थी। केवल लोकसभा चुनाव ही नहीं बल्कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को कड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ा। अब चूंकि अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ ही इंडिया गठबंधन की बैठक से भी दूरी बना ली है, लिहाजा स्पष्ट है कि सपा आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के मूड में है।
तो यूपी जीतने के लिए कांग्रेस के पास अब क्या है विकल्प
पहला विकल्प ये होगा कि कांग्रेस और बसपा में गठबंधन हो जाए। बसपा सुप्रीमो मायावती न तो इंडिया गठबंधन का हिस्सा रही हैं और न ही सपा के साथ गठबंधन करने का कोई संकेत दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने हमेशा कहा है कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी। लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो बसपा ने सपा के मुकाबले दोगुना सीटें जीती थीं। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती से बात भी की थी। जानकार कहते हैं कि अगर इंडिया गठबंधन टूट जाता है या अखिलेश यादव कांग्रेस से दूरी रखना चाहते हैं, तो बसपा से गठबंधन हो सकता है। अगर बसपा अकेले चुनाव लड़ने पर अड़ी रही तो दूसरा विकल्प होगा कि कांग्रेस अपने अकेले दम पर चुनाव लड़कर जीते, जो फिलहाल नामुमकिन नजर आ रहा है।
कांग्रेस का यूपी में जीतना नामुमकिन क्यों नजर आ रहा
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में मिशन 80 का ऐलान किया था। अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल अभी तक बीजेपी में शामिल हैं। निषाद पार्टी के संजय निषाद और सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर भी बीजेपी गठबंधन में हैं। ओपी राजभर 2017 में एनडीए में थे, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन तोड़ दिया था। लेकिन सुभासपा अब फिर से बीजेपी के सहयोगी दल की भूमिका में है। ऐसे में भाजपा यूपी में बेहद मजबूत स्थिति में है। ऐसे में कांग्रेस को या तो अखिलेश यादव को मनाना होगा या तो मायावती को। इसके बिना यूपी में जीतना लगभग नामुमकिन नजर आ रहा है। बताते चलें कि इंडिया गठबंधन की छह दिसंबर को होने वाली बैठक टाल दी गई है। यहां क्लिक करके पढ़िये इंडिया गठबंधन के कौन से सहयोगी दल कांग्रेस से नाराज हैं।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़े
यूपी के 75 जिलों में कुल 80 लोकसभा सीटे हैं।
बीजेपी और अपना दल (एस) ने मिलकर चुनाव लड़ा।
सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल ने मिलकर चुनाव लड़ा।
बीजेपी को यूपी लोकसभा चुनाव में 62 सीटें मिली।
बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) की 2 सीटों पर जीत।
बसपा को 10, सपा को 5 और आरएलडी को 0 सीट मिली।
देश की सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को यूपी में 1 सीट मिली।
एनडीए का कुल वोट शेयर 51.19 प्रतिशत।
बीजेपी का वोट शेयर 49.98, अपना दल एस को 1.21 प्रतिशत वोट।
बसपा को 19.43, सपा को 18.11, रालोद को 1.69 प्रतिशत वोट।
कांग्रेस को 6.36 प्रतिशत वोट।
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