Rice Export Ban: भारत का बड़ा फैसला, गेहूं के बाद अब चावल के निर्यात पर लगाया प्रतिबंध, जानें वजह

Rice Export Ban: भारत का बड़ा फैसला, गेहूं के बाद अब चावल के निर्यात पर लगाया प्रतिबंध, जानें वजह
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सरकार ने शुक्रवार को भारत (India) से टूटे चावल (Broken rice) के निर्यात पर लगा प्रतिबंध का आदेश जारी कर दिया है।

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को भारत (India) से टूटे चावल (Broken rice) के निर्यात पर लगा प्रतिबंध का आदेश जारी कर दिया है। प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। केंद्र सरकार ने कुछ प्रकार के चावल के निर्यात पर 20 फीसदी का कर लगाया है। चीन के बाद भारत दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। विश्व के कुल चावल निर्यात में भारत का योगदान 40 फीसदी है। भारत ने 2021-22 में 21.1 टन चावल का निर्यात किया था।



रॉयटर्स ने बताया कि भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा अनाज निर्यातक मानसून की औसत बारिश से कम होने की वजह से आपूर्ति बढ़ने और स्थानीय कीमतों को शांत करने की कोशिश करता है। हालांकि, कुछ निर्यातों को 15 सितंबर तक इजाजत दे दी गी है। जिसमें इस प्रतिबंध आदेश से पहले जहाज पर टूटे चावल की लोडिंग शुरू हो गई है। ऐसे में इनको लेकर शिपिंग बिल दायर किया गया है और जहाजों को पहले ही भारतीय बंदरगाहों और उनके रोटेशन में लाया गया है। सरकार ने बाजारों में टूटे चावल की बढ़ती मांग को लेकर यह आदेश दिया है। भारत सरकार ने मई महीने में गेहूं के निर्यात पर बैन लगाया था। लेकिन इसके बाद बाजार में आटे की मांग बढ़ गई।

जानकारी के लिए बता दें कि धान के रूप में चावल और ब्राउन चावल पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगाते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा कि उसना चावल और बासमती चावल के अलावा अन्य किस्मों के निर्यात पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगेगा। अधिसूचना में कहा गया है कि यह निर्यात शुल्क 9 सितंबर से लागू होगा। भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 21.2 मिलियन टन चावल का निर्यात किया। आंकड़े बताते हैं कि गैर-बासमती चावल का निर्यात 6.11 अरब डॉलर हुआ है।

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