भारत चीन सीमा विवाद: 1962 में जंग का मैदान बन चुकी है पैंगोंग झील, 3 साल में इतनी बार हुई झड़प

भारत और चीन एक बार फिर से पूर्वी लद्दाख में बनी सीमा पर आमने-सामने आ गए हैं। बीती 29 अगस्त की रात को चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की। जिसे भारतीय सेना ने नाकामयाब कर दिया इसके बाद से एक बार फिर बीती रात को चीनी घुसपैठ की कोशिश की है। जिसके बाद लगातार चीन का विरोध किया जा रहा है।
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील भारत और चीन के बीच आज से नहीं बल्कि 1962 से जंग का मैदान बनी हुई है। 1961 में चीनी सेना ने इसी झील से घुसपैठ की कोशिश की थी और तब के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख पीएम थापर और खुफिया अधिकारियों के साथ बैठक में नेफा बॉर्डर से लद्दाख तक की चौकियों को बढ़ाने का फैसला किया गया।
यहां पर भारतीय सेना की गश्त को भी शुरू कर दिया गया। इस पर तत्काल प्रभाव से सरकार ने काम किया और पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर बने खुर्द पर चीन का कब्जा था और वहां उसने सैन्य बेस भी बना लिया था। इसी दौरान दक्षिण पश्चिम और दक्षिण में चुशूल तक चीन ने सेना को खड़ा कर दिया था।
ऐसे में भारतीय सेना ने भी अपनी सीमा की सुरक्षा करते हुए अपने जवानों को तैनात कर दिया। यह झील हमेशा से ही भारत और चीन के बीच विवाद का हिस्सा बनी रही है। 1962 में भी चीन ने भारत के साथ युद्ध किया था।
बीते 3 साल में इस झील पर 4 बार भारत और चीन की सेनाएं हुई आमने-सामने
जानकारी के लिए बता दें कि अगस्त 2017, 11 सितंबर 2019, 5 मई 2020 और 30 अगस्त 2020 को भारत और चीन की सेना आमने सामने आई थी। इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं को भारी नुकसान पहुंचा।
वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी राजनयिक ने सोमवार को कहा था कि चीन अपने हितों के हर मोर्चे पर लड़ाई तेज कर रहा है। इसलिए अमेरिका की रणनीति उसे हर मोर्चे पर पीछे करने की है। अमेरिकी विदेश उप मंत्री स्टीफन बैगन ने तीसरे भारत अमेरिकी नेतृत्व सम्मेलन में यह बड़ा बयान दिया था।
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